लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को ललित कला अकादमी कैसरबाग में आयोजित 9वीं अंतर्राष्ट्रीय मोहर्रम फोटो और पेन्टिंग प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस दौरान राज्यपाल ने रूबीना जावेद मुर्तजा, जॉनथन व रोजी हाकिम, राकेश त्रिपाठी व एवं डॉ. जैन को शॉल, अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
राज्यपाल ने कहा कि कर्म और वाणी से किसी को पीड़ा देना धर्म नहीं होता। श्रद्धा से खिलवाड़ करना मानवता विरोधी है। मानवता की दृष्टि से विचार करना चाहिए और अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार एकजुट होकर भाईचारे का माहौल बनायें। इंसानियत न छोड़ें, अगर कोई इंसानियत छोड़े तो उसे समझाने का प्रयास करें।
राज्यपाल ने प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि यह चित्र प्रदर्शनी एकता का संदेश देती है। करीब 30 से 40 प्रतिशत चित्र उन लोगों ने बनाएं हैं जो मुस्लिम नहीं हैं। उदार चरित्र वाला व्यक्ति दुनिया को एक परिवार मानता है। राज्यपाल ने छाया पत्रकार की बात करते हुए कहा कि कभी-कभी लिखने वाला एक हजार शब्दों में, बोलने वाला चार सौ शब्दों में, वह नहीं कह पाता जो भाव एक चित्र के माध्यम से व्यक्त होता है। उन्होंने कहा कि चित्र बोलते हैं।
नाईक ने कहा ‘इमाम हुसैन के बारे में क्या कहूं, मेरे मन में उनके प्रति बहुत श्रद्धा है। इमाम हुसैन जैसे व्यक्तित्व को एक धर्म में नहीं बांधा जा सकता। उनको समाज और धर्म में बांधना उचित नहीं है। वे किसी एक धर्म के इमाम न होकर सबके हैं। सबको साथ लेकर सद्भावपूर्वक चलना ही आज की आवश्यकता है। यही इमाम हुसैन के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी।’
प्रो. शारिब रूदौलवी ने कहा कि इमाम हुसैन ने इंसानियत का पैमाग दिया है। सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए उन्होंने कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी इंसानियत के लिए है।
स्वामी सांरग ने कहा कि इमाम हुसैन सबके लिए श्रद्धा के पात्र हैं। हिन्दू, मुस्लिम व अन्य धर्म के लोग भी उनके अनुयायी हैं। कोई मजहब बुरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने इंसानियत को मायने दिया है। वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त तिवारी ने कहा कि इमाम हुसैन की याद दहशतगर्दी से लड़ने की ताकत देती है। उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से सभी वर्गों में एकता मजबूत होगी।
‘नार्थ इण्डिया जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन’ एवं ‘वन वायस’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित फोटो प्रदर्शनी में प्रो. शाबरा हबीब, शाह हसनैन बकई, नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला आदि उपस्थित थे।