काठमांडू, (हि.स.)। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के भारत दौरे के लिए एजेंडा तय किया जा रहा है जिसमें में नेपाली सेना के लिए खरीदी गई सैन्य सामग्री की बकाया राशि को रुपये में तब्दील कराने का प्रस्ताव शामिल किया गया है।
विदित हो कि नेपाल पर भारत का 2 अरब 46 करोड़ 80 लाख रुपये बकाया है। यह बकाया सैन्य सामग्री की खरीद का है। भारत ने इस राशि का 60 प्रतिशत अनुदान में परिणत कर दिया है, जबकि नेपाल शेष 40 प्रतिशत रकम को भी अनुदान में जोड़वाने के लिए प्रस्ताव को भी एजेंडा में शामिल करना चाहता है। साथ ही सैन्य सामग्री कीआपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने का भी अनुरोध किया जाएगा।
प्रधानमंत्री देउबा 23 से 27 अगस्त तक भारत के दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका पहला अधिकारिक विदेश दौरा होगा। प्रधानमंत्री दौरे में तीसरे चरण के स्थानीय निकाय चुनाव, प्रदेश और संसदीय चुनावों के लिए लॉजिस्टिक सहयोग जैसे गाड़ी, हथियार, विस्फोटक पदार्थ और भीड़ नियन्त्रण में उपयाेगी उपकरण मांगने का प्रस्ताव है।
दौरे के एजेंडे में एक हजार और पांच सौ के प्रतिबंधित भारतीय नोटों के विनिमय का प्रस्ताव भी शामिल किया जाएगा। इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक और नेपाल राष्ट्र बैंक के अधिकारियों के बीच लगातार बातचीत हो रही है। लेकिन दाेनों देशों के अधिकृत बैंको के अधिकारियों के बीच अभी तक हुई वार्ता निष्कर्ष विहीन रही है।
नेपाल के एलपीजी बुलेट को भारत में निर्बाध प्रवेश देने का आग्रह भी किया जाएगा। जनकपुर, नेपालगंज, महेन्द्रनगर आदि जगहाें से भारत में हवाई प्रवेश की अनुमति के लिए नेपाल अपने प्रयास को आगे बढाते हुए, विराटनगर से भी विमान आने की अनुमति प्राप्त करने का भी प्रस्ताव रखेगा।
विदित हो कि भारत ने इस विषय पर गोरखपुर स्थित वायु सेना अड्डे की सुरक्षा के मद्देनजर इस क्षेत्र के आसपास नेपाल से विमान आने की अनुमति नहीं दी है।
इसके अलावा नेपाली उत्पादों के भारतीय बजारों में सहज प्रवेश, उर्जा बैंक की स्थापना, सीमा चौकी संचालन, बुटवल-गोरखपुर 400 केवी सीमापार विद्युत प्रसारण लाइन परियोजना को मूर्त रूप देने का भी आग्रह किया जाएगा। इसके अलावा हेटौंडा और इनररवा में डबल सर्किट विद्युत सब-स्टेशन निर्माण के लिए 5 करोड़ 50 लाख रुपये का अनुदान सहयोग भारत से मांगा जाएगा। लुम्की-बरेली 400 केवी प्रसारण लाइन निर्माण के लिए भी भारत को प्रस्ताव दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त सड़क, सिंचाई, बांध आदि विकास से सम्बद्ध कई मांगें भारत सरकार के समक्ष रखी जाएंगी।