800 करोड़ गबन करने के आरोपी रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी सीबीआई हिरासत में
कानपुर। बैंकों का 800 करोड़ रुपए गबन करने के आरोपी रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी को सीबीआई ने हिरासत में ले लिया है। इससे पहले सीबीआई की टीम ने तड़के कोठारी के कानपुर स्थित आवास पर छापेमारी की। ये छापेमारी बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर की गई है। रविवार को विक्रम कोठारी कानपुर के एक विवाह समारोह में दिखे थे।
समारोह स्थल के बाहर मीडियाकर्मियों ने उनसे पांच हजार करोड़ के ऋण हासिल करने से संबंधित सवाल करने चाहे, लेकिन कोठारी बिना रुके आगे बढ़ते गए। इसके बाद वे गाड़ी में बैठकर वहां से निकल गए। कोठारी रोटोमैक पेन कंपनी के प्रवर्तक हैं। सूत्रों के मुताबिक कोठारी पर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। कानपुर के कारोबारी कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 800 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लिया था।
सूत्रों के अनुसार कोठारी को ऋण देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के पालन में ढिलाई की। स्थानीय मीडिया की रपटों के अनुसार कंपनी के प्रवर्तक ने उनके विदेश भाग जाने की आशंकाओं को आधारहीन करार दिया है। कोठारी ने कहा, ‘मैं कानपुर का वासी हूं और मैं शहर में ही रहूंगा. हालांकि कारोबारी काम की वजह से मुझे विदेश यात्राएं भी करनी होती हैं.’
कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपए और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपए का ऋण लिया था। उन्होंने ऋण लेने के साल बाद कथित तौर पर ना तो मूलधन चुकाया और ना ही उस पर बना ब्याज. पिछले साल ऋण देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को जानबूझकर ऋणचूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया था।
इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी। जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने कहा था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है।