पटना। राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मैं कभी दिखावे के लिए कोई काम नहीं करता। हमने महिलाओं की जागृति पर काम किया और बिहार में हमने पचास प्रतिशत महिलाओं को पंचायत चुनाव में आरक्षण दिया, साथ ही अर्बन लोकल बॉडी में भी आरक्षण दिया। तीन बार चुनाव हो चुका है और महिलाओं ने पचास प्रतिशत से ज्यादा जीत हासिल की है।
उन्होंने कहा कि गरीबी, अशिक्षा, लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय, मुख्य बिंदु हैं और हमलोग बिहार में इसको ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी है। हमने बिहार में विकास की पहल की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जीविका के मॉडल को हूबहू स्वीकार कर लिया। हमारा आठ लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप है। इससे महिलाओं में जागृति आ रही है। बिहार के गांव में कम पढ़ी लिखी महिलाएं भी बैंक और बाकी चीजों के बारे में जान रही हैं। उनमें समाजिक तौर पर जागृति आ रही है।
नीतीश ने मांग की कि लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़े बिल को पारित किया जाये। कहीं भी महिलाएं पीछे नहीं है। नारी सशक्तिकरण की दिशा में बिहार में अनेक पहल हुई है। हमने शराबबंदी महिलाओं के कहने पर लागू की. महिलाएं पहले तंग रहती थी। हमारे बिहार में बहुत शांति का माहौल है। यह सब काम हो रहा है। इस कदम से नारी सशक्तिकरण को बल मिला है। शराबबबंदी को लेकर पिछले साल 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनी फिर हमने दहेज प्रथा और बाल विवाह को समाप्त करने के लिए 14 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी मानव श्रृंखला बनाई। उन्होंने कहा कि यहां शुकराना समारोह में लाखों लोग आये। यह बुद्ध की भूमि है, यह महावीर की भूमि है।
नीतीश ने कहा इस सम्मेलन में आए सभी लोगों का बिहार शुक्रगुजार है। बिहार के पुराने इतिहास पर सबको नाज होता है।हमें उस खोए गौरव को फिर से प्राप्त करना है। आजकल ज्यादातर लोग काम राजनीतिक स्वार्थ के लिए काम करते हैं। हमलोग वोट की चिंता नहीं करते, हम वोट देने वालों की चिंता करते हैं। हम जनता की चिंता करते हैं। प्रकाश पर्व के बेहतर आयोजन से बिहार की छवि सुधरी है।