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बवाना अग्निकांड: हादसे की जांच के आदेश, फैक्ट्री मालिक गिरफ्तार
By Deshwani | Publish Date: 21/1/2018 7:32:30 PM
बवाना अग्निकांड: हादसे की जांच के आदेश, फैक्ट्री मालिक गिरफ्तार

 नई दिल्ली, (हि.स.)। शनिवार शाम बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में अवैध पटाखा फैक्ट्री में भीषण आग लगने से यहां काम करने वाले 17 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद पुलिस ने आरोपी फैक्टरी मालिक मनोज जैन को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी गिरफ्तारी बीती आधी रात को हुई। पुलिस ने आरेापी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं (आईपीसी 285 व 304) के तहत केस दर्ज किया है। सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिये हैं। यह जांच गृह विभाग के प्रधान सचिव एमके परीदा करेंगे।

फैक्ट्री मालिक मनोज जैन ने शुरुआती पूछताछ में पुलिस को बताया कि यह फैक्‍ट्री एक जनवरी से किराए पर ली थी और वह बड़े पैमाने पर होली और स्‍टेज शो के लिए पटाखों की पैकिंग करवा रहा था। उसका दावा था कि इसके लिए किसी भी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है, इस बात को पुलिस वेरिफाई कर रही है। हालांकि इतनी मौत हुई हैं, इसी वजह से जो धाराएं लगाई गई हैं वो गैरजमानती हैं। पुलिस के मुताबिक इस बिल्डिंग में प्लास्टिक दाने बनाने की फैक्ट्री के नाम पर लाइसेंस लिया गया था लेकिन वो बाहर से पटाखे मंगाकर यहां उनकी पैकिंग करवाता था। फैक्ट्री में हादसे के वक्‍त काफी ज्यादा पटाखे थे। इसलिए आग एकदम फैली और सभी इसकी चपेट में आ गए।
गौरतलब है कि शनिवार शाम 6:21 बजे दमकल विभाग को बवाना इंडस्ट्रियल एरिया के सेक्टर 5 की इस फैक्ट्री में आग लगने की कॉल मिली थी। ये फैक्ट्री तीन मंजिला है। आग तीनों फ्लोर तक पहुंच चुकी थी। आग पर देर रात तक काबू पाया जा सका था। कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊपर से कूद गए थे। कई लोग इतनी बुरी तरह जल गए कि उनके शव की पहचान करना भी मुश्किल हो रहा था। हादसे में जान गवांने वाले ज्यादातर यूपी और बिहार के रहने वाले हैं। रविवार को मृतकों के शवों का डॉ अंबेडकर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया।
पुलिस के मुताबिक शुरुआती जांच में पता चला कि मनोज जैन पार्टनरशिप में ललित गोयल नामक के शख्स के साथ कारोबार कर रहा था। ललित गोयल इस गोदाम का मालिक है। डीसीपी के मुताबिक इस हादसे में अब तक 17 लोगों की मौत हुई है जिनमें 9 महिलाएं और 1 लड़की भी शामिल है, जबकि 7 पुरुषों की भी मौत हो गई है। इस हादसे में 1 महिला और एक पुरुष बुरी तरह झुलस गए हैं।
मृतकों की पहचान
1, बेबी देवी (40 वर्ष) पत्नी गिरधारी दास
2, अफसाना (35 वर्ष) पत्नी मुख्तियार खान
3, सोनम (23 वर्ष) पुत्री बंटू
4, रीता (18 वर्ष) पुत्री राजू
5, मदीना (55 वर्ष) पत्नी नसरूद्दीन
6, रज्जो (65 वर्ष) पत्नी सुरेश
7, धर्मा देवी (45 वर्ष) पत्नी राजू
8, सूरज (20 वर्ष) पुत्र श्याम बिहारी
9, रविकांत (18 वर्ष) देवेंद्र प्रताप
10, सुखदा (42 वर्ष) पत्नी महिपाल
11, खुसना (47 वर्ष) पत्नी विश्वनाथ
12, सोनी (21 वर्ष) पत्री सोभरन
13, रोहित (19 वर्ष) पुत्र अजय
14 संजीत (19 वर्ष) पुत्र राममूरत
चश्मदीदों की जुबानी
एफ 83 में इस मौत के मंजर को देखने के बाद आसपास के लोगों का कहना था कि इस अवैध फैक्ट्री में छुट्टी वाले दिन पैसों का लालच देकर काम कराया जा रहा था। अगर कोई इनकार करता तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती थी। मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए धड़ल्ले से काम चल रहा था।
सुबह 9 बजे मजदूरों के आते ही बाहर से ताला लगा दिया जाता था। तर्क ये था कि पुराने ऑर्डर पर माल बनाकर जल्दी क्लीयर करना है। पीड़ित परिवारों का मिलाजुला दर्द था। पीड़ित परवार के राकेश ने बताया कि फैक्ट्री में शनिवार को जानबूझकर बुलाया जाता था। छुट्टी के दिन काम का किसी को पता न चले, इसके लिए यहां की अधिकतर फैक्ट्रियों में बाहर से लॉक लगा रहता है।
हादसे वाले दिन भी यही हुआ। मजदूरों पर निगरानी रखने के लिए बतौर सिक्योरिटी गार्ड एक शख्स भी होता था लेकिन हादसे के वक्त वह कहां था? किसी को नहीं मालूम। आसपास की फैक्ट्रियों में मौजूद कर्मचारियों की जब आग के साथ आसमान में उठ रहे काले धुएं पर नजर गई तो लोग दरवाजे की तरफ भागे लेकिन बाहर से ताला लगा मिला। नजदीक ही में मजदूरी करने वाले सुरेश ने बताया कि पहली मर्तबा तो ऐसा लगा कि अंदर कोई है ही नहीं लेकिन कुछ देर बाद उसका भी धुंए की वजह से दम घुटने लगा। अंदर से चीखने चिल्लाने की आवाजें आईं लेकिन कुछ भी न दिखाई दे रहा था और ना ही कुछ समझ पा रहे थे।
जिनका सबकुछ उजड़ गया
इस हादसे में अपनों को खो चुकी बदहवास उर्मिला सिर्फ इतना कहती है कि अब वह कहां जाएगी? बेटी तो चली गई। उसके साथ उसके गर्भ में पल रहा बच्चा भी चला गया। उर्मिला के साथ हुए हादसे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि उसकी बेटी 23 वर्षीय सोनी दो दिन पूर्व ही उस फैक्ट्री में काम करने गई जहां काम करने वाले 17 लोग शनिवार को लगी आग में असमय काल कवलित हो गए। 
सोनी के भाई ने कहा कि हमें तो पता ही नहीं था कि वह पटाखे बनाने वाली फैक्ट्री में काम करती है क्योंकि सोनी ने बताया था कि वहां केमिकल से रंग बनाए जाते हैं। उसकी मौत से पूरा परिवार बेहाल है। परिजनों की आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं। सोनी की शादी जून 2017 में हुई थी और उसके गर्भ में पांच महीने का बच्चा पल रहा था। मूलत: वह उत्तर प्रदेश के सीतापुर की निवासी थी।
इसी हादसे के एक पीड़ित विश्वनाथ भी हैं जिनकी पत्नी कुशमा भी उसी फैक्ट्री में काम कर रही थी। 35 साल की कुशमा का कोई पता नहीं चल पाया है जबकि वह बीती रात से ही उसकी तलाश में दर-दर भटक रहा है। उसके कंधे पर 6 बच्चों की जिम्मेदारी जिन्हें कुशमा छोड़कर चली गई। विश्वनाथ तो अब सिर्फ कुशमा की लाश को ढ़ूढ रहा है। मौजूदा समय में वह मेट्रो विहार में किराएदार के रूप में रहता है और मूलत: वह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का रहने वाला है। उसे गिला है कि मदद का दम भरने वाली पुलिस, राजनीतिक पार्टियां, सामाजिक संस्थाएं, सरकार व प्रशासन के नुमाइंदे भी कुछ नहीं कर रहे हैं।
भीषण आग के बीच रूपप्रकाश ने फैक्ट्री की छत से छलांग लगाकर अपना जीवन तो बचा लिया लेकिन वह बुरी तरह से घायल है। घटना स्थल के नजदीक पूठखुर्द स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। 24 वर्षीय रूपप्रकाश इस फैक्ट्री में अपने 3 भाइयों के साथ पिछले 6 महीने से काम कर रहा है। ये लोग सेक्टर 5 में किराए के मकान में रह रहे हैं। रूपप्रकाश के साथ उसका छोटा भाई रोहित (19), चाचा का लड़का संजीत सिंह (19) और मौसी का बेटा सूरज सिंह (22) भी इस फैक्ट्री में हादसे के वक्त मौजूद थे। अस्पताल में मौजूद रूपप्रकाश के एक रिशतेदार ने बताया कि घायल के पिता व अन्य लोग उन्नाव (उत्तर प्रदेश) से चल दिए हैं और आज शाम तक दिल्ली पहुंच जाएंगे। उन्होंने टेलीविजन पर समाचार देखने के बाद रूपप्रकाश को फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया तो चिंता होने लगी। उसी के बाद उन्हें तलाश करते हुए वह आज सुबह यहां पहुंचे। वहीं सूरज सिंह की मां राजेश्वरी और पिता श्याम बिहारी का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
रूप प्रकाश ने बताया कि वह 6 महीनों से पटाखे की फैक्ट्री में काम कर रहा था। साथ में उसके भाई भी थे। एक पटाखे में विस्फोट के साथ जब अचानक आग फैलने लगी तो वह अपने भाइयों की मदद के लिए दौड़ा लेकिन वहां आकर आग अधिक होने से वह घबरा गया और फैक्ट्री के ऊपर की मंजिल की तरफ दौड़ गया। आग इतनी भयानक थी उसे जान बचाने का कोई रास्ता नहीं समझ आ रहा था ऐसी हालत में उसने ऊपर से छलांग लगा दी। इससे उसकी जान तो बच गई लेकिन पैर की हड्डी टूट गई।
दिल्ली सरकार ने जांच समिति का गठन किया
उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन रविवार सुबह घायलों की कुशलक्षेम पूछने अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने पीड़ितों को मुआवजे और एक जांच समिति का गठित करने की भी जानकारी दी। इस मामले की जांच गृह विभाग के प्रधान सचिव एमके परीदा करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जांच समिति रिपोर्ट प्राप्त होते ही इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें नहीं लगता कि दिल्ली में पटाखा कारखाने के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया है। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
केजरीवाल ने घटनास्थल और अस्पताल में घायलों की कुशलक्षेम जानने के बाद कहा, 'घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। मृतकों के परिवार और घायलों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई नहीं हो सकती। दिल्ली सरकार मृतक के परिवारों को पांच लाख और गंभीर घायलों को इलाज के लिए एक लाख रुपये मुआवजा देगी।'
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