राष्ट्रीय
सेना के सियाचिन पायनियर्स ने जान जोखिम में डालकर पर्वतारोही को बचाया
By Deshwani | Publish Date: 20/1/2018 7:26:18 PM नई दिल्ली/लेह, (हि.स.)। भारतीय सेना हमेशा से अपना शौर्य पराक्रम और सेवा का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करती रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को बर्फ की चादर में लिपटे लेह-लद्दाख में सेना ने अपनी जान जोखिम में डालकर एक व्यक्ति की जान बचाई। मामला लद्दाख में स्थित जंस्कार घाटी का है, जहां एक पर्वतारोही जमी हुई नदी के ऊपर ‘चादर ट्रेक’ में शामिल होने आया था और अभियान के दौरान वह एक दुर्गम स्थान में फंस गया। तब लेह स्थित हेलीकॉप्टर यूनिट- सियाचिन पायनियर्स ने एक साहसिक मिशन का संचालन कर उसकी जान बचाई।
सेना की एक विज्ञप्ति के अनुसार सेना को खबर मिली कि जम चुकी जंस्कार नदी के ऊपर ‘चादर ट्रेक अभियान’ के एक सदस्य की जान खतरे में है। बेहद कम समय में मिली इस सूचना के बावजूद सियाचिन पायनियर्स हेलीकॉप्टर यूनिट के दो हेलीकॉप्टर बचाव अभियान के लिए निकल पड़े। जिस स्थान पर यह बचाव अभियान चलाना था वह बेहद दुर्गम था और वहां हेलीकॉप्टर उतारना भी असंभव सा दिखता था। इसीलिए इस मिशन के लिए दो हेलिकॉप्टर को लगाया गया ताकि अगर एक हेलिकॉप्टर को कोई खतरा हुआ तो दूसरा उसकी सहायता के लिए वहां उपस्थित रहे। संचार व्यवस्था के लचर होने के कारण उस स्थान पर आपसी समन्वय भी संभव नहीं था। बर्फीले पहाड़ों एवं जंस्कार घाटी की दरारों में उस लापता अभियानी की खोज करना भी बेहद दुष्कर काम था। लेकिन हेलीकॉप्टर में तैनात जवानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी और आखिरकार लापता पर्वतारोही को खोज निकाला। बचाव अभियान की सफलता के बाद विंग कमांडर सीडीआर खान ने कहा कि बिना तैयार सतह पर, तंग घाटी के भूभाग में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग बेहद मुश्किल, खतरनाक और जान जोखिम में डालने वाला काम होता है।
इसके साथ ही विंग कमांडर खान ने अपना ध्येय वाक्य दोहराया- ‘ हम कठिन कार्य तो रूटीन के तहत करते हैं और असंभव कार्य में बस थोड़ा अधिक समय लग सकता है।’ इस बचाव अभियान के दौरान चालक दल के सदस्यों ने बेहद कम स्थान में हेलीकॉप्टर को उतरने के असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया। हेलिकॉप्टर को खड़े पहाड़ों के बीच, नदी के बगल में चट्टानी रास्ते पर उतार दिया। दूसरे हेलिकॉप्टर ने पहले हेलिकॉप्टर को हवा में रहकर रक्षा कवच दिया। इस तरह इस कठिन कार्य को अंजाम दिया गया।