नई दिल्ली, (हि.स.)। आम आदमी पार्टी (आप) ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ के पद) मामले में 20 विधायकों की सदस्यता निरस्त करने की संस्तुति की आलोचना करते हुए निर्वाचन आयोग के रवैये को पक्षपातपूर्ण करार दिया है। पार्टी का आरोप है कि मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खासमखास हैं और उन्हीं के इशारे पर ये फैसला लिया गया। इस बीच, पार्टी से नाराज चल रहे कुमार विश्वास ने मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर विशेषाधिकार का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति के पास ये सिफ़ारिश भेजी है कि 'आप' के 20 विधायकों की सदस्यता इसलिए रद्द कर दी जाए, क्योंकि ये लोग लाभ के पद पर हैं। इसी सिलसिले में आप नेताओं ने आज एक साथ चुनाव आयोग द्वारा लिए इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का षड्यंत्र करार दिया है।
आप नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाम पर हमारे विधायकों ने 1 रुपए का भी फायदा नहीं लिया। कोई सुविधा नहीं लिया| कोई लाभ का पद नहीं लिया| हम राष्ट्रपति महोदय से मिलने का समय मांग रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश असंवैधानिक है। भाजपा और उसके लोग 'आप' के काम से और अपनी दुकान बंद होने से परेशान हैं| इसीलिए दिन-रात हमें रोकने के लिए षड्यंत्र कर रहे हैं| हमारी 400 फाइलों को व्यर्थ में दबाया गया है।
आप नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में संसदीय सचिव बनाने का आदेश दिया था जिसमें साफ़ लिखा था कि किसी भी संसदीय सचिव को 1 रुपए भी नहीं दिया जाएगा| मैं कांग्रेस-भाजपा को चैलेंज करता हूं कि वो एक भी संसदीय सचिव बता दें जिसको 1 रुपया भी दिया गया है।
गोपाल राय ने चुनाव आयुक्त पर आरोप लगाते हुए कहा, 'सीईसी जोति साहब प्रधानमंत्री के बहुत खास आदमी रहे हैं| वह गुजरात में मोदी जी के समय पर मुख्य सचिव व प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे चुके हैं| इस दोस्ती की क़ीमत उन्होंने आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फरमान जारी कर चुकाई है।'
राय ने कहा, 'अन्य राज्यों में संसदीय सचिव जो लाखों की सेलरी ले रहे हैं उनके खिलाफ़ आम आदमी पार्टी ने माननीय राष्ट्रपति महोदय के पास शिकायत की थी| उनके खिलाफ़ चुनाव आयुक्त ने अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? अंग्रेजों के राज में भी जिस पर आरोप होता था उसको अपनी बात रखने का नाटक होता था| लेकिन, मोदी राज में तो अपनी बात रखने का अधिकार भी नहीं है।'
आप नेता गोपाल राय ने कहा, '23 जून 2017 को चुनाव आयोग ने अपने आर्डर में कहा था कि अब जब भी सुनवाई होगी हम विधायकों को सूचित करेंगे| लेकिन, कल बिना कुछ सूचना दिए हमारे विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी| जिन लोगों पर आरोप है उनका पक्ष सुने बिना ही फैसला सुनाया गया है| ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है| सभी बुद्धिजीवी और राजनीतिक लोग हैरान हैं कि 2 दिन बाद रिटायर होने वाले सीईसी जोति ने आप विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फैसला किस दबाव में लिया?'
आप नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा, 'जो लोग व्यवस्था के खिलाफ लड़ेंगे, माफिया तंत्र के खिलाफ लड़ेंगे उनके साथ ऐसा होगा| कोई नई बात नहीं है| जीत सच की ही होगी।'
आप नेता ने कहा, 'अन्य राज्यों की सरकारों ने संसदीय सचिव नियुक्त किये, जिसके नाम पर करोड़ों, अरबों का फंड खर्च हुआ| दिल्ली सरकार ने भी संसदीय सचिव नियुक्त किये लेकिन एक भी रुपया खर्च नहीं किया, तो फिर आप के साथ ये भेदभाव क्यों ?'
इस मामले में पार्टी से नाराज चल रहे डॉ कुमार विश्वास ने अलग राय रखते हुए कहा कि आप के 20 विधायकों के खिलाफ हुई कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है। वह इससे बेहद दुखी हैं। उन्होंने दावा किया कि इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को कुछ सुझाव दिए थे, लेकिन कहा गया कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि किसे कहां नियुक्त करना है। इसलिए वह चुप रहे।