इलाहाबाद, (हि.स.) । माघमेला के परेड स्थित विहिप के शिविर में आयोजित संत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए शुक्रवार को महामण्डलेश्वर रामकमल दास बेदान्ती ने नारा दिया कि राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।
सम्मेलन में जगद्गुरू राघवाचार्य ने कहा कि भारत वर्ष का हिन्दू समाज सदैव प्रताड़ित होता रहा और दोगले पन का शिकार भी हुआ लेकिन संतों की तपस्या व त्याग के चलते हिन्दुत्व चरम सीमा पर कई अर्से बाद पहुंचा है। अब राम का भव्य मंदिर निर्माण का अच्छा अवसर आ गया है।
डाॅ. रामेश्वरदास ने कहा कि हमारे देश में अतिताइयों ने आक्रमण किया और भारत वर्ष के मंदिरों के साथ ही यहां के वास्तविक इतिहास के साथ छेड़छाड़ की। 1984 से शुरू हुए आन्दोलन राम जन्म भूमि के रणबाकुरों ने 6 दिसम्बर 1996 को तथाकथित बाबरी ढांचे को गिरा दिया। मामला न्यायालय में चल रहा था, जिसमें न्यायालय ने माना कि वहां राम मंदिर था और जो भगवान राम का जन्म स्थान है। हिन्दू समाज के एकजुटता ने एक ऐसा अवसर दिया है जिसमें भगवान राम मंदिर का निर्माण हो जायेगा।
सम्मेलन में अखिलभारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने कहा कि आजादी के बाद से पहली बार प्रयाग की धरती पर आयोजित होने वाले संत सम्मेलन में सूबे का मुखिया और गोरक्षापीठाधीश्वर योगी आदित्य नाथ संत सम्मेलन में शामिल होने आये है। संत समाज के गौरव की बात है। जिसने पूरे संत समाज का सम्मान बढ़ाने का काम किया है।
सन्त सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए वासुदेवानन्द महराज ने कहा कि मैं संतों की विशाल प्रतिमा बनाये जाने का विरोध करता हूं और न शास्त्र में कहीं इसका वर्णन है कि शंकराचार्यों के नाम से सरकार स्मारक बनाये जाएं। विश्व प्रसिद्ध प्रयाग राज को उसकी गरिमा को स्थापित करने वाले मुख्यमंत्री से मांग है कि उसका नाम भी वापस दे दिया जाय जिसका मुख्यमंत्री ने आश्वासन देते हुए संकेत दे दिया है।
संत सम्मेलन में प्रमुख रूप से सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ, कैविनेट मंत्री नन्द गोपाल उर्फ नन्दी, विहिप के चम्पत राय, पंकज, सम्पर्क प्रमुख अशोक तिवारी, विहिप के कार्यकर्ता मनोज कुशवाहा, काशी पीठाधीश्वर नरेन्द्रानन्द सरस्वती, सतुआबाबा समेत कई संत शामिल हुए ।