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दस माह में अमरिंदर के दो खास सिपाहसालार ढेर, किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा आज भी बरकरार
By Deshwani | Publish Date: 18/1/2018 7:36:09 PM
दस माह में अमरिंदर के दो खास सिपाहसालार ढेर, किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा आज भी बरकरार

चंडीगढ़ (हि.स.)। पंजाब में कांग्रेस की सरकार को सत्ता में आए दस माह का समय हुआ है और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दो करीबी विकेट गिर चुके हैं। प्रदेश सरकार अभी तक के कार्यकाल के दौरान किसानों की कर्ज माफी तथा बेरोजगार नौजवानों को रोजगार प्रदान करने में विफल रही है। इसके चलते विपक्ष लगातार आक्रामक हो रहा है और प्रदेश सरकार राज्य में नए सिरे से रोजगार मेलों का आयोजन करने की तैयारी में जुटी हुई है।
गुरुवार को सूबे के विवादित मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार हो गया है। पिछले करीब दो दशक में यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते राज्य के कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री के सबसे करीबी मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा हो। बुधवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त आईएएस सुरेश कुमार की बतौर चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी की नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ किया था कि मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट मंत्रियों की बजाय चीफ प्रिंसीपल सेक्रेटरी पर अधिक भरोसा किया है। दस माह के भीतर कैप्टन अमरिंदर सिंह को दो बड़े झटके लगे हैं।
इन विवादों के बीच राज्य की कांग्रेस सरकार अभी तक अपने चुनावी घोषणा पत्र के करीब भी नहीं पहुंच सकी है। राज्य सरकार ने चुनाव से पहले सूबे में बेरोजगारी समाप्त करने के लिए ‘हर घर नौकरी’ का वादा किया था। दस माह के दौरान सरकारी नौकरियों में भर्तियां तो नहीं हो सकी अलबत्ता सरकार ने निजी क्षेत्र में नौकरियां प्रदान करने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन भी किया। प्रदेश सरकार के प्रयासों के बावजूद इन मेलों के माध्यम से केवल 23 हजार युवाओं को निजी कंपनियों में नौकरियां मिली है। विपक्ष का दावा है कि प्रदेश सरकार द्वारा निजी कंपनियों में दिलाई गई नौकरियां तीन माह से अधिक नहीं चल सकी हैं जिसके चलते सरकार फिर से विवादों में घिरी हुई है। प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के अनुसार निकट भविष्य में सरकार द्वारा फिर से रोजगार मेलों का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा चालू वर्ष के दौरान सरकारी क्षेत्र में भी भर्तियां शुरू की जाएंगी।
पंजाब में दूसरा बड़ा मुद्दा किसान कर्ज माफी का रहा है। पंजाब सरकार सात जनवरी को मानसा से यह योजना शुरू कर चुकी है लेकिन न तो किसानों ने इसे स्वीकार किया है और न ही विपक्ष इस योजना को स्वीकार कर रहा है। आलम यह है कि सत्ता पक्ष भी किसान कर्ज माफी की योजना पर बंटा हुआ है। इसके चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल खुद कर्ज माफी योजना का रिव्यू कर रहे हैं और अब इसकी खामियों को दूर किया जा रहा है। राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के अनुसार कुछ किसान संगठनों ने योजना में संशोधन की मांग मुख्यमंत्री के समक्ष उठाई थी जिसके चलते अब किसानों को अब यह अधिकार दिया गया है कि वह खुद स्वेच्छा फार्म भरकर अपनी जमीन तथा कर्ज का ब्यौरा दें। इसके अलावा सरकार द्वारा बहुत जल्द इस योजना का दूसरा चरण भी लागू किया जा रहा है।

 

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