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सीबीआई के ''फोटोकापी टेंडर'' से मिल सकता है जानकारी लीक को बढ़ावा
By Deshwani | Publish Date: 18/1/2018 4:52:00 PMनई दिल्ली (हि.स.)। बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली व अपनी जानकारी को बिल्कुल ही गोपनीय रखने वाली केंद्रीय एजेंसी सीबीआई की छोटी-सी गलती का भयानक परिणाम निकल सकता है। इसकी चिंता शायद एजेंसी को नहीं है।
जांच एजेंसी ने पिछले नवंबर माह में एक टेंडर नोटिस अपनी वेबसाइट पर चस्पा किया है। इसमें कहा गया है कि सीबीआई मुंबई के कार्यालय को फोटोकापी करने वाले फर्मों की सेवा की जरूरत है जो जरूरत पड़ने पर कार्यालय के कागजातों की प्रतिलिपि एजेंसी के मुंबई स्थित कार्यालय को उपलब्ध करवाएगा।
सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत भी सीबीआई को इसलिए बाहर रखा गया है कि कहीं देश की सुरक्षा व आपराधिक अनुसंधान से जुड़ी जानकारी बाहर नहीं जा पाए। इतना ही नहीं एजेंसी हमेशा अपने कार्यकलाप को गोपनीय रखती है क्योंकि यह देश स्तर पर सुर्खी बटोरने वाले मामले को अपने पास रखती है। मामले के सम्यक अनुसंधान के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारें व न्यायालय भी इस पर भरोसा करती है।
सवाल है कि अगर एजेंसी अपने कागजातों की प्रति उपलब्ध करवाने के लिए किसी निजी एजेंसी पर निर्भर होगी तो क्या इन कागजातों की जानकारी बाहर नहीं चली जाएगी।
इस मामले में जब सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसके लिए एजेंसी के पास एेसे तंत्र हैं जो जानकारी को बाहर जाने से रोकेंगे। लेकिन उनकी बात कई विशेषज्ञों के गले नहीं उतरती क्योंकि हम आए दिन सुनते हैं कि रक्षा से जुड़ी जानकारी लीक हो जाती है और वह विदेशियों एजेंटों तक पहुंच जाती है तो फिर सीबीआई की ओर से उक्त ठेके का आमंत्रण भी जानकारी लीक को निमंत्रण ही देगा।
उक्त ठेके के लिए दिए गए नोटिस में यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि अगर कोई इस कागजात को लीक करेगा तो उसके खिलाफ कौन सी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि सीबीआई के कागजात नियमतः कार्यालयी गोपनीय अधिनियम के तहत आता है और सामान्यतः इसी कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
इस मामले में असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक जीएम श्रीवास्तव ने कहा कि एेसे तो लीक होने के लिए कोई भी जानकारी लीक हो जाती है लेकिन सीबीआई इस लीक को रोकने के लिए सक्षम है। उल्लेखनीय है कि विजय माल्या का मामला मुंबई सीबीआई के पास ही है।