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भारत-चीन-रूस की त्रिपक्षीय विदेशमंत्री स्तर बैठक संपन्न
By Deshwani | Publish Date: 11/12/2017 6:37:03 PM
भारत-चीन-रूस की त्रिपक्षीय विदेशमंत्री स्तर बैठक संपन्न

 नई दिल्ली, (हि.स.)। भारत-चीन- रूस (आरआईसी) के बीच त्रिपक्षीय विदेश मंत्री स्तर की बैठक सोमवार को नई दिल्ली में हुई। इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद हुई संयुक्त प्रेस वार्ता में तीनों ही नेताओं ने इस बैठक को बहुत महत्वपूर्ण एवं फलकारी बताया। बैठक में वैश्विक मुद्दों को लेकर बात हुई। साथ ही तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र, आर्थिक मामलों को लेकर भी बात की। 

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि विदेश मंत्री वांग यी, विदेश मंत्री लव्रोव और मैंने आज 15वीं आरआईसी विदेश मंत्रियों की वार्ता में समान महत्व के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत की। इनमें वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, बढ़ता हुआ आतंकवाद, अंतर्देशीय संगठित अपराध, ड्रग्स की तस्करी, प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाएं, जलवायु परिवर्तन मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका में बदलते राजनीतिक परिदृश्य जैसे मुद्दे शामिल थे।
स्वराज ने बताया कि अप्रैल, 2016 में मॉस्को के बाद भारत के विदेश मंत्री के तौर पर मेरी यह तीसरी आरआईसी वार्ता है। ये सालाना वार्ताएं हम तीनों देशों को एक सुअवसर प्रदान करती हैं कि हम आपस में एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करें और अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए अपने योगदान को चिन्हित कर सकें। हमारे बीच आज हुई वार्ता में चार बृहद क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें आर्थिक और विकासात्मक मुद्दे, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, वैश्विक बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय मुद्दे शामिल हैं।
 
विदेश मंत्री ने बैठक के बारे में बताते हुए कहा कि हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी ईज़ ऑफ डूईंग बिजनेस में भारत ने 2014 के अपने 142वें स्थान से ऊपर उठकर इस वर्ष 100वां स्थान हासिल किया है। मैंने चीन और रूस को सघन व्यापार और आर्थिक साझेदारी के लिए आमंत्रित किया जिससे वह यहां उपलब्ध आर्थिक अवसरों का लाभ उठा सकें। मैंने इस ओर ध्यान दिलाया कि टिकाऊ विकास लक्ष्य भारत की विकास की अपनी अवधारणा को परिलक्षित करते हैं। 25 सितंबर, 2015 को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र की समेकित विकास पर सम्मिट में टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडे को स्वीकार किया गया था, जिसमें 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य और 169 लक्ष्य हैं इसके मूल में गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
 
भारत सरकार की अनेक पहलों जैसे स्मार्ट सिटीज़, मेक-इन-इंडिया, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत, जन-धन योजना, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टॉर्ट-अप इंडिया, आदि टिकाऊ विकास लक्ष्य के कई लक्ष्यों के समान हैं।
 
आतंकवाद पर चर्चा के दौरान मैंने इस बात का उल्लेख किया कि आतंकवादी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा आदि के आतंकी कृत्यों में बढ़ोतरी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के प्रयासों को प्रभावित करती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और टिकाऊ विकास को सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों को धक्का पहुंचाती हैं। भारत वैश्विक आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक नीति बनाने की पुरजोर सिफारिश करता है। इस नीति से चरमपंथ से निपटना, धार्मिक कट्टरता का मुकाबला करना, आतंकियों की भर्ती को रोक लगाना, आतंकवादियों के आवागमन को प्रभावित करना, आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी स्रोतों पर रोक लगाना, विदेशी लड़ाकू आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना और आतंकवादियों के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के प्रयासों को शामिल करना चाहिए, लेकिन हमें इसी तक सीमित नहीं रह जाना चाहिए।
 
स्वराज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए मैंने यह अपील की कि हमें पेरिस समझौता और यूएनएफसीसीसी द्वारा निर्धारित सिद्धांतों विशेषकर समानता लेकिन भिन्न उत्तरदायित्व को निष्पक्ष रूप से लागू करने को भी सुनिश्चित करना चाहिए। अनेक क्षेत्रीय मुद्दों पर भी हमने विस्तृत चर्चा की। दिसंबर, 2016 में, प्रथम रूस-भारत-चीन त्रिस्तरीय वार्ता आयोजित की गई थी। इस वार्ता का स्वागत करते हुए मैंने प्रस्ताव किया कि इसकी अगली बैठक 2018 में नई दिल्ली में आयोजित की जाए। मुझे प्रसन्नता है कि यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। 
आरआईसी के तहत होने वाले प्रयासों पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने बताया कि मैंने यह भी प्रस्ताव किया कि चीन द्वारा जनवरी, 2017 में आयोजित आरआईसी युवा राजनयिकों के बीच वार्तालाप को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। अगले वर्ष हम चीन और रूस के युवा राजनयिकों का भारत में स्वागत करेंगे। हमारे त्रिपक्षीय संवादों के अलावा मुझे विदेश मंत्री लव्रोव और विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा का अवसर भी मिला। हमारे बीच अनेक विस्तृत मुद्दों पर स्पष्ट चर्चा हुई और इस संबंध में हमने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। 
 
 
 
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