नई दिल्ली, (हि.स.)। फिल्म पद्मावती को लेकर जहां विभिन्न राज्यों में विरोध के सुर तेज हो गए हैं वहीं सोमवार को फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सेंसर बोर्ड को अपनी भूमिका निभाने दें। सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। उधर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का ऐलान किया है। राजस्थान के उदयपुर में सर्व समाज ने 21 नवम्बर को भीण्डर में बंद का ऐलान किया है।
सुप्रीम कोर्ट में वकील मनोहरलाल शर्मा ने ये याचिका दायर की थी। पिछले 10 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती फिल्म को रिलीज करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर सेंसर बोर्ड को स्वतंत्र रूप से फैसला लेने दें। चीफ जस्टिस ने कहा था कि जब सेंसर बोर्ड ने ही फिल्म नहीं देखी तो आपकी याचिका अभी प्रि-मैच्योर है। पहले सेंसर बोर्ड को फिल्म देखकर उस पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने दीजिए। कोर्ट इसमें दखल नहीं कर सकता।
मप्र में नहीं होगा फिल्म पद्मावती का प्रदर्शन : शिवराज
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि रानी पद्मावती के जीवन और शौर्य गाथा से सम्बंधित ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ कर बनी फिल्म रानी पद्मावती का प्रदर्शन मध्य प्रदेश की धरती पर नहीं होगा। चौहान सोमवार को अपने निवास पर राजपूत क्षत्रिय समाज के लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भोपाल में रानी पद्मावती की शौर्य गाथा को प्रदर्शित करने स्मारक स्थापित किया जाएगा। भावी पीढ़ी के लिए प्रस्तावित वीर भूमि प्रकल्प में वीरों की शौर्य गाथाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। चौहान ने कहा कि महिलाओं के सम्मान के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रमाता पद्मावती पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसी प्रकार वीरता के लिए महाराणा प्रताप पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
महारानी पद्मावती के सम्मान की रक्षा में विभिन्न जिलों से आये राजपूत समाज के प्रतिनिधि मंडलों ने रानी पद्मावती के सम्मान और गरिमा को धूमिल करने और इतिहास से छेड़छाड़ करने के षड्यंत्र के विरुद्ध मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिए।
पंजाब में भी फिल्म पद्मावती का विरोध
फिल्म पद्मावती का विरोध पंजाब में भी शुरू हो गया है। महाराणा प्रताप युवा मोर्चा तारागढ़ द्वारा अध्यक्ष कुंवर राकेश्वर सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को रोष प्रदर्शन करके फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली का पुतला जलाया गया। इस प्रदर्शन में राजपूत महासभा पंजाब के उपाध्यक्ष कुंवर रविन्दर सिंह विक्की तथा राजपूत महासभा के लोक सभा हलका गुरदासपुर के अध्यक्ष कुंवर संतोख सिंह विशेष तौर पर शामिल हुए। कुंवर रविन्दर विक्की ने कहा कि अपने त्याग व बलिदानों से इतिहास के पन्नों को सुर्ख करने वाली देशभक्त क्षत्रिय कौम का एक गौरवशाली इतिहास है जिसे संजय लीला भंसाली जैसे लोग चंद पैसों की खातिर तोड़-मरोड़क़र पेश करके करोड़ों क्षत्रियों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।
हर भारतीय नारी की आदर्श महारानी पद्मावती पर हर देशवासी को गर्व है। वह चित्तौड़गढ़ की ऐसी वीरांगना थीं जिसने अपने सतीत्व व देश तथा समाज की आन-बान व शान के लिए 16,000 रानियों के साथ स्वयं को जौहर की आग में झोंक दिया था।
पद्मावती के विरोध में मंगलवार को भीण्डर बंद का आह्वान
राजस्थान में सर्व समाज ने फिल्म पद्मावती के विरोध में मंगलवार (21 नवम्बर) को उदयपुर जिले में भीण्डर बंद का आह्वान किया है। यहां हुई एक बैठक में विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि रानी पद्मावती भारत का ऐतिहासिक गौरव हैं। उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसको लेकर मीडिया का एक वर्ग यह बता रहा है कि फिल्म का विरोध केवल राजपूत समाज कर रहा है, जबकि सत्यता यह है कि फिल्म के विरोध में समाज के सभी वर्गों के लोग हैं।
पद्मावती को लेकर आपस में टकराए कांग्रेस के दो दिग्गज
कांग्रेस में पद्मावती को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। इसके चलते जहां कांग्रेस के दो दिग्गज नेता इस मुद्दे पर आपस में टकरा गए हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शशि थरूर के बयान पर नाराजगी व्यक्त की है।
राष्ट्रीय मुद्दों पर बेबाक राय देने वाले और विरोधियों पर तीखे कटाक्ष करने वाले कांग्रेसी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने पद्मावती विवाद के विरोध में ब्रिटिश काल के राजाओं-महाराजाओं पर तीखा व्यंग्य किया था।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यही है कि एक फिल्म के कारण निर्देशक और कलाकारों के पीछे हाथ धोकर पड़ऩे वालों को उस समय अपने मान सम्मान की कोई चिंता नहीं थी। ब्रिटिश इनके मान-सम्मान को पैरों तले रौंद रहे थे और वे खुद को बचाने के लिए भाग खड़े हुए थे। इस बयान से बिफरे कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तीखा पलटवार करते हुए थरूर को नसीहत देते हुए कहा कि शशि थरूर को पहले इतिहास पढ़ऩा चाहिए कि महाराजाओं की भूमिका क्या थी? और ऐसी बयानबाजी से उन्हें बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं ज्यातिरादित्य सिंधिया हूं और मुझे अपने अतीत पर गर्व है।