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''मन की बात'' को मैंने राजनीति के रंग से दूर रखा: पीएम मोदी
By Deshwani | Publish Date: 24/9/2017 3:39:00 PM
''मन की बात'' को मैंने राजनीति के रंग से दूर रखा: पीएम मोदी

 नई दिल्ली, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित कार्यक्रम ‘मन की बात’ के तीन साल पूरे होने पर कहा कि ये मेरे ‘मन की बात’ नहीं है बल्कि ये देशवासियों के 'मन की बात' है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह तो सिर्फ देशवासियों से आधे घंटे बात करते हैं लेकिन लोग महीने भर सुझाव भेजते रहते हैं। ये उनके सुझावों की ही देन है कि सरकार का समस्याओं पर ध्यान केंद्रित है। साथ ही प्रधानमंत्री ने ‘सेल्फी विद डॉटर’, ‘खादी अभियान’ अनाज की बचत, पर्यटन के अलावा कई अहम पहलुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने खासतौर पर श्रीनगर के युवा बिलाल डार का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक महान कार्य कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ के तीन साल की यात्रा में मैंने इस कार्यक्रम को राजनीति से दूर रखने की पूरी कोशिश की और समाज के विभिन्न वर्गों को हमेशा ‘मन की बात’ में जनता के केंद्र में रखा। प्रधानमंत्री ने ‘सेल्फी विद डॉटर’ और ‘खादी अभियान’ की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे ‘मन की बात’ की सफलता और असर का पता चलता है। देश के लोगों ने ‘मन की बात’ को ज्यादा प्रभावी बनाया है। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का आकाशवाणी पर यह 36वां प्रसारण है।
मोदी ने कहा कि पिछले महीने इस कार्यक्रम में हमने संकल्प लिया था कि 02 अक्टूबर गांधी जयंती से पहले 15 दिन स्वच्छता अभियान चलाएंगे और देश की जनता को इससे जोड़ेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के लोगों और सभी वर्गों ने इसे अपना कार्यक्रम माना। चाहे खिलाड़ी हो, अभिनेता हो, किसान हो या मजदूर हो, सब लोग जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि आम लोग स्वच्छता रखने के लिए दबाव महसूस कर रहे हैं। स्वच्छता अभियान के पहले ही दिन हजारों लोग जुड़ गए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर समाज और खासकर बच्चों में जागरुकता बढ़ी है। वे भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इसके लिए देश में स्वच्छता के प्रति माहौल बनाने के लिए मीडिया के लोगों को धन्यवाद किया।
प्रधानमंत्री ने खासतौर पर श्रीनगर के युवक बिलाल डार का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीनगर नगर निगम ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। इससे पता चलता है कि स्वच्छता का एंबेसडर सिर्फ खिलाड़ी और अभिनेता ही नहीं हो सकते। उन्होंने इसके लिए बिलाल और श्रीनगर नगर निगम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बिलाल एक महान कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि हमें भोजन करते समय चिंता करनी चाहिए कि जितनी जरूरत है उतना ही लें, हम उसको बर्बाद न करें। इस ओर लोगों ने ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने हरियाणा के एक सरपंच की सेल्फी विथ डॉटर को देखा और ‘मन की बात’ में सबके सामने रखा। इसके बाद लोगों ने बेटियों को बढ़ावा देने के लिए देखते ही देखते न सिर्फ भारत में, पूरे विश्व में ‘सेल्फी विथ डॉटर’ का एक बड़ा अभियान चल पड़ा। ये सिर्फ सोशल मीडिया का मुद्दा नहीं है। हर बेटी को एक नया आत्मविश्वास, नया गर्व पैदा करने वाली ये घटना बन गई। हर मां-बाप को लगने लगा कि मैं अपनी बेटी के साथ सेल्फी लूं। हर बेटी को लगने लगा कि मेरा कोई माहात्म्य है, मेरा कोई महत्व है। 
पिछले दिनों मैं भारत सरकार के पर्यटन विभाग के साथ बैठा था। मैंने जब घूमने पर जाने वाले लोगों से कहा था कि आप इंक्रेडिबल इंडिया पर, जहां भी जाएं वहां की फोटो भेजिए। लाखों तस्वीरें, भारत के हर कोने की, एक प्रकार से पर्यटन क्षेत्र में काम करने वालों की एक बहुत बड़ी अमानत बन गई। छोटी-सी घटना कितना बड़ा आन्दोलन खड़ा कर देती है, ये ‘मन की बात’ में मैंने अनुभव किया है। आज मन कर गया, क्योंकि जब सोच रहा था तीन साल हो गए, तो पिछले तीन साल की कई घटनाएं मेरे मन-मंदिर में छा गईं। उन्होंने कहा कि देश सही दिशा में जाने के लिए हर पल अग्रसर है। देश का हर नागरिक दूसरे की भलाई के लिए, समाज की अच्छाई के लिए, देश की प्रगति के लिए, कुछ-न-कुछ करना चाहता है ये मेरे तीन साल के ‘मन की बात’ के अभियान में, मैंने देशवासियों से जाना है, समझा है, सीखा है। किसी भी देश के लिए ये सबसे बड़ी पूंजी होती है, एक बहुत बड़ी ताकत होती है। मैं ह्रदय से देशवासियों को नमन करता हूं। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार ‘मन की बात’ में खादी के विषय में चर्चा की थी। खादी एक वस्त्र नहीं, एक विचार है। उसका नतीजा ये हुआ कि लोगों खासकर युवाओं में इन दिनों खादी के प्रति काफी रुचि बढ़ी है और मैंने स्वाभाविक रूप से कहा था कि मैं कोई खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा हूं लेकिन भांति-भांति के कपड़े होते हैं तो एक खादी क्यों न हो। खादी की बिक्री बढ़ी है और उसके कारण गरीब के घर में सीधा-सीधा रोजगारी का संबंध जुड़ गया है। 
उत्तर प्रदेश में, वाराणसी सेवापुर में, अब सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया। अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया। अनेक लोगों को रोजगार के नए अवसर पैदा किए। कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है। 
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