रजिस्ट्री पर गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले वकील को सुप्रीम कोर्ट ने एक माह तक प्रैक्टिस से रोका
नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के खिलाफ गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले वकील मोहित चौधरी को एक महीने तक बतौर एडवोकेट आन रिकॉर्ड प्रैक्टिस करने से मना कर दिया है। इस मामले में 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछली सुनवाई के दौरान चौधरी ने कोर्ट से कहा था कि प्रैक्टिस के दौरान गलतियां हो जाती है जिसके लिए उन्होंने माफी मांग ली है । उन्होंने कहा था कि उन्होंने रजिस्ट्री के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए हैं। वो इसके लिए बहुत दुखी है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर व्यक्ति हमें गाली देकर चला जाता है । आप हमारे पक्ष में खड़े क्यों नहीं होते । क्या आप कभी कोर्ट के लिए खड़े हुए हैं । नौजवान वकीलों की तो अलग बात है सीनियर वकील क्यों नहीं खड़े होते हैं ।
पिछले दस अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सूरी और सचिव गौरव भाटिया ने वकील की तरफ से माफी मांगी थी लेकिन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच उनकी माफीनामे से संतुष्ट नहीं हुई थी । कोर्ट ने कहा था कि अगर रजिस्ट्री से गलती हुई है तो उसे ठीक किया जाएगा और आपको जाने दिया जाएगा लेकिन अगर आपसे गलती हुई है तो हम आपको नहीं जाने देंगे ।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि जब बेंच बदलती तो किसी सूचना के आधार पर बदली जाती है । इसके बावजूद आपने ये आरोप लगाया कि रजिस्ट्री ने गड़बड़ी की है । लेकिन जब देखा गया तो पाया गया कि कोई बेंच नहीं बदली गई है और मामला उसी बेंच के पास लिस्टेड था । इसके बावजूद आपने कहा कि ये मेनिपुलेटेड है ।
उक्त वकील की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और कॉलीन गोंजाल्वेस और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी ।
दरअसल जब मामलों की मेंशनिंग चल रही थी तब उक्त वकील ने कहा कि उनका मामला रेगुलर बेंच के पास लगाया जाना था लेकिन उसे स्पेशल बेंच के पास भेजकर रजिस्ट्री ने गड़बड़ी की है । उसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि आप क्या बोल रहे हैं उसका मतलब समझते हैं। ये न्यायिक आदेश है । आप यहां आकर कुछ भी नहीं बोल सकते हैं। आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाएगा। अगर आप हमें संतुष्ट नहीं करते हैं तो आपको जेल जाना पड़ेगा। आप अवमानना नोटिस का एक घंटे के भीतर जवाब दें। उसके बाद उक्त वकील ने माफीनामे का हलफनामा दाखिल किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं हुआ ।