झारखंड
पेट्रोलियम उत्पादों को बचाने की जरूरत : द्रौपदी मुर्मू
By Deshwani | Publish Date: 16/1/2018 5:47:00 PMरांची (हि.स.)। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस आज की जरूरत है। इसके बगैर आधुनिक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज प्रदूषण बढ़ रहा है। एक न एक दिन प्राकृतिक गैस, तेल खत्म हो जायेगा। इसलिए हमें इसके संचयन के बारे में अभी से सोचने की जरूरत है।
मंगलवार को होटल बीएनआर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से आयोजित ईधन संरक्षण के सक्षम कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में तेल बाहर से आ रहा है। पेट्रोल की भी इकॉनामी होनी चाहिए। टेक्निक एलईडी का उपयोग कर इसका फायदा हम ले सकते हैं। आने वाले समय में बच्चों को भी इसकी जरूरत पड़ेगी। जब बच्चे 18 वर्ष के हो जाएंगे, तो उन्हें bhबाइक चाहिए। आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। हम इसमें सुधार ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें तेल, ईंधन बचाने के लिए सोचना होगा। अपनी सोच में बदलाव लाना होगा, तभी यह संभव हो सकेगा। हाइड्रोकार्बन की गति को बनाये रखना महत्वपूर्ण है। भारत उर्जा का उपयोग करने में विश्व में तीसरे नम्बर पर है। आज मनुष्य विकास के साथ अग्रसर है। समय के साथ सुख का साधन बढ़ रहा है। आज कोई कमी नहीं आयी है। उन्होंने कहा कि आज ट्रेन, हवाई जहाज इसी की देन है। प्राकृतिक संसाधनों के खत्म होने का खतरा बढ़ रहा है, इसे सुरक्षित करें। आज मनुष्य की आवश्यकता बढ़ रही है। गाड़ियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है। आज तेज गति से संसाधनों का उपयोग हो रहा है। अगर हम अभी नहीं चेते तो यह उर्जा संसाधन धरती से खत्म हो जायेगा। उन्होंने कहा कि हमें पेट्रोलियम उत्पादों को बचाना होगा। इसमें सबका सहयोग जरूरी है। आज उर्जा की मांग बढ़ रही है। इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। आज प्रदूषण रहित उर्जा साधन है। इसे अधिक उपयोगी बनायें। हमें सावधानी बरतनी चाहिए। हमारे देश के वैज्ञानिक उर्जा के साधन खोज रहे हैं।
इस अवसर पर इंडियन ऑयल के स्टेट कोर्डिनेटर श्यामल देवनाथ ने कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से सक्षम कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके माध्यम से लोगों को इधन और तेल को बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। यह कार्यक्रम एक महीने तक चलेगा। इस दौरान 15 फरवरी तक राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जायेगा ताकि लोग पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का संचयन कर सकें। इसके माध्यम से लोगों को इसके बचाव के बारे में भी जानकारी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि 1980 में इसकी खपत 640 बैरल प्रतिदिन होती थी। 2013 में बढ़कर यह 3660 बैरल प्रतिदिन हो गया है। आज हर वर्ष उर्जा के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है। अगर यही हाल रहा है, तो 2030 में आठ हजार बैरल प्रतिदिन हो जायेगा। इसलिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस को संचयन की जरूरत है। इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा। तभी हम इसको बचा सकते हैं। इस अवसर पर पारस श्रीवास्तव, जाहिद अली, हरीश दीपक, पवन श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।