न्यूयार्क। कट्टरता फैलाने तथा आतंक के वित्त पोषण के लिए आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल के बढ़ते जोखिम से निपटने के लिये वैश्विक कार्रवाई की मांग करते हुए भारत ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई समूचे भौगोलिक एवं सांस्कृतिक स्तर पर समान होनी चाहिए और इसमें भेदभावपूर्ण मानकों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक विषय पर ब्रिटेन एवं इटली की मेजबानी में एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान विदेश सचिव एस जयशंकर ने यह टिप्पणी की। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की ओर से जारी एक प्रतिलेख के मुताबिक जयशंकर ने कहा, बड़े आतंकवादी हमलों के प्रभाव को कम करने के लिये इंटरनेट के आधार, अहम इंटरनेट संसाधन और आंकड़ा संकलन केंद्रों को अलग अलग तथा अनावश्यक आंकड़ों से रहित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई समूचे भौगोलिक एवं सांस्कृतिक स्तर पर समान होनी ही चाहिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अलग-अलग मानक स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा, जहां तक इंटरनेट की बात है तो हम सभी जानते हैं कि आतंकवाद के लिये यह कितना प्रभावी साधन बन गया है। कट्टरता के प्रसार, किसी के मन मस्तिष्क को प्रभावित करने, आतंकियों की भर्ती और आतंक के वित्त पोषण के लिये इसका इस्तेमाल अब तक अच्छी तरह सिद्ध हो चुका है।
ऐसी स्थिति में हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते। यह मंच इस समस्या पर और अधिक प्रभावी तरीके से हमला बोलने का एक प्रयास है और हम इसकी सराहना करते हैं। भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि भारत आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल से उत्पन्न खतरे से परिचित है।
अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि इस दिशा में ग्लोबल इंटरनेट फोरम टू काउंटर टेररिज्म (जीआईएफसीटी) एक उत्साहजनक प्रगति है क्योंकि इंटरनेट के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल से लड़ाई में जो पक्षकार हैं उनमें कुछ सरकार से इतर भी हैं। उन्होंने कहा, यह नयी नीतियों और सबसे अहम नए नजरियों का आह्वान करता है और हम इस संबंध में सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं।
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि आतंकियों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल एक वैश्विक मुद्दा है जिसके लिये नये, अंतरराष्ट्रीय समाधान की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर इस बैठक में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटीलोनी समेत उद्योग जगत एवं कई देशों से नेताओं ने हिस्सा लिया।
जीआईएफसीटी के नेताओं की तरह ही फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर और यूट्यूब ने भी कट्टरता फैलाने, आतंकियों की भर्ती, दुष्प्रचार फैलाने के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने और अपने यूजर्स को ऑनलाइन आतंकियों तथा हिंसक चरमपंथ फैलाने वालों से बचाने के साझा लक्ष्य पर जोर दिया।