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मंत्रिमंडल : तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड को बंद किए जाने को मंजूरी
By Deshwani | Publish Date: 10/1/2018 6:22:22 PM
मंत्रिमंडल : तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड को बंद किए जाने को मंजूरी

नई दिल्ली (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड (टीएसपीएल) की अचल परिसंपत्तियों के निपटान के संबंध में इस कंपनी को बंद करने संबंधी सीसीईए के निर्णय पर अमल को मंजूरी दे दी है। 

इसके साथ ही टीएसपीएल की शेष देनदारियों के समायोजन के बाद कंपनी रजिस्‍ट्रार की सूची से इस कंपनी का नाम हटाने को भी मंजूरी दे दी गई है।
 
उल्‍लेखनीय है कि आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने दिसंबर 2015 में इस कंपनी को बंद करने को मंजूरी दे दी थी। कर्मचारियों व कामगारों और ऋणदाताओं की सभी बकाया रकम के निपटान के बाद ही इस आशय की स्‍वीकृति दी गई थी। 
कैबिनेट ने 20 हजार वर्ग मीटर भूमि के साथ एमएमएच संयंत्रों का हस्‍तांतरण कर्नाटक सरकार को करने की स्‍वीकृति दे दी थी। कैबिनेट ने कर्नाटक राज्‍य आवास बोर्ड के उपयोग के लिए हॉस्‍पेट स्थित कंपनी की 82.37 एकड़ भूमि की बिक्री कर्नाटक सरकार को किए जाने की भी स्‍वीकृति दे दी थी। इस भूमि की बिक्री कर्नाटक सरकार को उसके द्वारा पेशकश की गई प्रति एकड़ 66 लाख रुपये की दर से की जा रही है।
 
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्‍यकता नहीं
 
अब एकल ब्रांड खुदरा कारोबार (एसबीआरटी) के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। बुधवार को मंत्रिमण्डल की बैठक में सरकार ने फैसला लेते हुए मौजूदा एफडीआई नीति और अधिक सरल एवं उदार बनाने पर जोर दिया गया। एसबीआरटी से संबंधित वर्तमान एफडीआई नीति के तहत स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई और सरकारी मंजूरी रूट के जरिए 49 प्रतिशत से ज्‍यादा और 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।
 
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले निकाय को आरंभिक 5 वर्षों के दौरान वैश्विक परिचालनों के लिए भारत से वस्‍तुओं की अपनी वृद्धिपरक प्राप्ति का समायोजन करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। इस अवधि की शुरुआत भारत से 30 प्रतिशत की खरीद की अनिवार्य प्राप्ति आवश्‍यकता के सापेक्ष प्रथम स्‍टोर खोलने के वर्ष की पहली अप्रैल से होगी।
 
इस उद्देश्‍य के लिए वृद्धिपरक प्राप्ति से आशय एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले अनिवासी निकायों द्वारा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में किसी विशेष वित्त वर्ष में संब‍ंधित एकल ब्रांड (भारतीय रुपये में) के लिए भारत से की गई इस तरह की वैश्विक प्राप्ति के मूल्‍य में हुई वृद्धि से है। इस तरह की प्राप्ति (सोर्सिंग) या तो प्रत्‍यक्ष रूप से अथवा उनके समूह की कंपनियों के जरिए की जा सकेगी। पांच वर्षों की यह अवधि पूरी होने के बाद एसबीआरटी निकाय के लिए हर साल सीधे अपने भारतीय परिचालन हेतु 30 प्रतिशत की प्राप्ति से जुड़े मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा।
 
अनिवासी निकाय अथवा निकायों, चाहे वे ब्रांड के मालिक हों अथवा कुछ अन्‍य हैसियत रखते हों, को विशिष्‍ट ब्रांड के लिए देश में ‘एकल ब्रांड’ वाले उत्‍पाद का खुदरा कारोबार करने की अनुमति दी गई है। यह खुदरा कारोबार या तो सीधे ब्रांड के मालिक अथवा एकल ब्रांड का खुदरा कारोबार करने वाले भारतीय निकाय और ब्रांड के मालिक के बीच हुए कानूनी तर्कसंगत समझौते के जरिए किया जा सकता है।

चिकित्सा उपकरण, रियल इस्टेट ब्रोकिंग, पॉवर एक्सचेंज की एफडीआई नीति में संशोधन
 
केंद्र सरकार ने बुधवार को चिकित्सा उपकरण, रियल इस्टेट ब्रोकिंग सेवाओं और पॉवर एक्सचेंज को लेकर एफडीआई नीति में बदलाव को मंजूरी दे दी है। रियल इस्टेट ब्रोकिंग सेवाओं में एफडीआई को अनुमति दी गई। साथ ही प्राथमिक बाजार के जरिए भी पॉवर एक्सचेंजों में निवेश को अनुमति देने का फैसला लिया गया। 
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एफडीआई नीति में कई संशोधनों को अपनी मंजूरी दी है। सरकार के मुताबिक इन संशोधनों का उद्देश्‍य एफडीआई नीति को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाना है| ऐसा इसलिए कि देश में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित हो सके।
प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्त का एक स्रोत है। सरकार ने एफडीआई के संबंध में एक निवेशक अनुकूल नीति क्रियान्वित की है जिसके तहत ज्‍यादातर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्‍वत: रूट से 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। हाल के महीनों में सरकार ने अनेक क्षेत्रों (सेक्‍टर) यथा रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग इत्‍यादि में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं।
फार्मास्‍यूटिकल्‍स क्षेत्र से जुड़ी एफडीआई नीति में अन्‍य बातों के अलावा इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि एफडीआई नीति में चिकित्‍सा उपकरणों की जो परिभाषा दी गई है वह दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम में किए जाने वाले संशोधन के अनुरूप होगी। चूंकि नीति में दी गई परिभाषा अपने आप में पूर्ण है, इसलिए एफडीआई नीति से दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम का संदर्भ समाप्‍त करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, एफडीआई नीति में दी गई ‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है।
निर्माण क्षेत्र का विकास को लेकर टाउनशिप, आवास, निर्मित बुनियादी ढांचा और रियल एस्‍टेट ब्रोकिंग सेवाओं में एफडीआई को लेकर फैसला लिया गया। यह स्‍पष्‍ट करने का निर्णय लिया गया है कि रियल एस्‍टेट ब्रोकिंग सेवा का वास्‍ता अचल परिसंपत्ति (रियल एस्‍टेट) व्‍यवसाय से नहीं है| इसलिए इसमें स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई संभव है।
विस्‍तृत नीति में केन्‍द्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाजार) नियमन, 2010 के तहत पंजीकृत पावर एक्‍सचेंजों में स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। हालांकि, एफआईआई/एफपीआई के निवेश को केवल द्वितीयक बाजार तक सीमित रखा गया था। अब इस प्रावधान को समाप्‍त करने और इस तरह एफआईआई/एफपीआई को अब प्राथमिक बाजार के जरिए भी पावर एक्‍सचेंजों में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
 
संवेदनशील देशों से एफडीआई पर रहेगी निगाह, ऑडिट कंपनियों के लिए होंगी शर्तें
 
एफडीआई को लेकर केंद्र सरकार ने अब सावधानी बरतने का फैसला किया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में संवेदनशील देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर निगाह रखने और उनकी व्यापक जांच के लिए दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। इसी तरह एफडीआई पाने वाली भारतीय कंपनी के ऑडिट को लेकर भी सरकार ने सावधानी बरती है। 
बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई कि मौजूदा प्रक्रियाओं के मुताबिक ऐसे संवेदनशील देशों, जिनके लिए विस्‍तृत फेमा 20, एफडीआई नीति और समय-समय पर संशोधित किए जाने वाले सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है, से प्राप्‍त निवेश संबंधी एफडीआई आवेदनों पर ऐसे निवेश के लिए गृह मंत्रालय गौर करेगा जो स्‍वत: मंजूरी क्षेत्रों/गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं। उधर, सरकारी मंजूरी वाले क्षेत्रों/गतिविधियों, जिनके लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है, से जुड़े मामलों पर संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय/विभाग गौर करेंगे। अब यह निर्णय लिया गया है कि स्‍वत: मंजूरी वाले क्षेत्रों, जिनके लिए स्‍वीकृति केवल संवेदनशील देश से होने वाले निवेश के मसले पर जरूरी होती है, में निवेश हेतु एफडीआई आवेदनों पर सरकारी मंजूरी के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) गौर करेगा। सरकारी मंजूरी रूट के तहत आने वाले ऐसे मामलों पर आगे भी संबंधित प्रशासकीय विभाग/मंत्रालय ही गौर करेगा जिनके लिए संवेदनशील देश से जुड़ी सुरक्षा मंजूरी आवश्‍यक होती है।
वर्तमान एफडीआई नीति में उन ऑडिटरों के विनिर्देश के संबंध में कोई भी प्रावधान नहीं है जिनकी नियुक्ति विदेशी निवेश प्राप्‍त करने वाली भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों द्वारा की जा सकती है। अब एफडीआई नीति में इस बात का उल्‍लेख करने का निर्णय लिया गया है कि कोई विदेशी निवेशक यदि भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनी के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय नेटवर्क वाले किसी विशेष ऑडिटर/ऑडिट फर्म को निर्दिष्‍ट करना चाहता है तो वैसी स्थिति में इस तरह की निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों का ऑडिट दरअसल ऐसे संयुक्‍त ऑडिट के तहत किया जाना चाहिए जिसमें कोई एक ऑडिटर समान नेटवर्क का हिस्‍सा कतई नहीं होगा।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधनों को अपनी मंजूरी दी है। सरकार के मुताबिक इन संशोधनों का उद्देश्‍य एफडीआई नीति को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाना है, ताकि देश में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित हो सके।
सरकार ने एफडीआई के संबंध में एक निवेशक अनुकूल नीति क्रियान्वित की है जिसके तहत ज्‍यादातर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्‍वत: रूट से 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। हाल के महीनों में सरकार ने अनेक क्षेत्रों (सेक्‍टर) यथा रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग इत्‍यादि में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं।
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