नई दिल्ली, (हि.स.)। फेडेरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की सालाना आम सभा (एजीएम) के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर हुए एक विशेष सत्र में बिहार के वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी, पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा और जम्मू-कश्मीर के वित्तमंत्री असीब द्राबू के बीच जमकर बहस हुई। मित्रा ने जीएसटी लागू करने में सरकार की जल्दबाजी और जीएसटी संग्रहण में मासिक स्तर पर गिरावट को लेकर सवाल उठाए, तो द्राबू ने इतनी जल्दी जीएसटी को लेकर कोई धारणा बनाए जाने को गलत बताया। सुशील कुमार मोदी ने 53 विभिन्न टैक्स-लेवी के बदले एक टैक्स के रूप में जीएसटी को लाने के सरकार के प्रयास को ऐतिहासिक कहा।
पश्चिम बंगाल के अमित मित्रा ने कहा कि हम सैद्धांतिक रूप से जीएसटी का हमेशा से समर्थन करते आए हैं, लेकिन इसे लागू करने में जो जल्दबाजी दिखाई गई, हम उसका समर्थन नहीं करते। इसी जल्दबाजी के चलते जहां सितम्बर माह में जीएसटी संग्रहण 95131 करोड़ रुपये था वह अक्टूबर माह में गिरकर 83346 करोड़ रुपये हो गया। हम अब नवम्बर माह के जीएसटी संग्रहण के आंकड़ों को लेकर चिंतित हैं। मित्रा ने जीएसटी कानून के अंतर्गत गिरफ्तारी जैसे प्रावधानों को लेकर चैम्बर के सदस्यों को चेताया।
जम्मू-कश्मीर के वित्तमंत्री असीब द्राबू ने इतने कम समय में जीएसटी को लेकर किसी भी प्रकार की धारणा बनाने को गलत कहा। द्राबू का कहना है कि जीएसटी सही मायने में संघीय व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करना है, जिसमें केंद्रीय कर संग्रहण जैसे वित्तीय विषयों पर नीति-निर्धारण में राज्य भी शामिल हो रहे हैं।
बिहार के सुशील कुमार मोदी ने जीएसटी को लेकर सभी प्रकार की आशंकाओं को गलत बताया। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीएसटी को लेकर आरंभ में कपड़ा, सूत, एमएसएमई एवं छोटे कारोबारियों का विरोध था, क्योंकि वे कर ढांचे में आ रहे थे। इससे पहले वे कभी कर नहीं देते थे। वहीं जीएसटी को लेकर बताया जा रहा था कि इससे वस्तुएं महंगी होंगी, क्योंकि अधिकतम जीएसटी 28 फीसदी तक है, लेकिन वो धारणा भी गलत साबित हुई, क्योंकि पहले 53 प्रकार के टैक्स-लेवी के बाद किसी भी उत्पाद पर टैक्स 28 फीसदी से कहीं ज्यादा होता था। जीएसटी के कड़े प्रावधानों के समर्थन में बोलते हुए मोदी ने कहा कि ऐसे प्रावधान इसीलिए रखे गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं तक जीएसटी के लाभ पहुंचे और उन्हें कम कीमत पर सामान मिले।