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2019 के बाद ही शुरू हो सकता है बैंकों का विलय
By Deshwani | Publish Date: 23/11/2017 6:05:11 PM मुंबई (हि स) गैर निष्पादन संपत्तियों (एनपीए) के भारी बोझ तले दबे और कर्ज की मांग में कोई उठाव न होने की वजह से छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय का दांव सरकार अगले कार्यकाल में खेल सकती है। क्योंकि सरकार के पास अब इस बड़े कार्य के लिए एक तो समय कम है और दूसरे उसने बैंकिंग सेक्टर के लिए पहले ही बड़ी पूंजी का एलान कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने हाल में जो 2.11 लाख करोड़ रुपये की भारी –भरकम पूंजी बैंकों में डालने की घोषणा की थी, वह इसी आधार पर की गई है कि अगले एक साल या उससे ज्यादा समय तक बैंकों को पूंजी की जरूरत नहीं पड़े। इस तरह देखा जाए तो साल 2019 में जो आम चुनाव होंगे, उसमें अब महज 14-15 महीने ही बचे हैं। ऐसे में इतने कम समय में सरकार यह काम करने की बजाय अब अपने चुनावी फोकस पर काम करेगी।
चूंकि बैंकों में विलय की वजह से कुछ नौकरियां भी जा सकती हैं और कुछ और भी चीजें सामने आ सकती हैं। इसलिए सरकार इस जोखिम वाले कदम को चुनाव तक टाल सकती है। एक बैंक अधिकारी के मुताबिक यह काम अगर पहले हो गया होता तो संभव था, लेकिन अब सरकार के पास इतना समय नहीं है कि वह इस काम पर फोकस करे। वैसे भी माना यह जा रहा है कि अगली कुछ तिमाहियों के बाद बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता और अन्य मोर्चे पर थोड़ा सुधार हो सकता है क्योंकि अब एनपीए धीरे –धीरे कम हो रहे हैं।
दरअसल बैंकों को जितनी जरूरत है, उतनी पूंजी उन्हें मिल चुकी है और यह पूंजी छोटे बैंकों की बजाय बड़े बैंकों को ही दी जाएगी। सरकार छोटे बैंकों को पूंजी इसलिए नहीं देगी क्योंकि आखिरकार उनका विलय होना है और उनके लिए इस पूंजी का कोई मतलब नहीं है। एक म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के मुताबिक इस कंसोलिडेशन के लिए सरकार समय ले सकती है और इसकी वजह से उसने पूंजीकरण को बड़ा कर दिया है। इसलिए बैंकों के विलय के लिए अब 18 महीने से ज्यादा का इंतजार करना होगा।