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नोटबंदी, जीएसटी से बुरी तरह पीटा शादी कारोबार: एसोचैम
By Deshwani | Publish Date: 23/10/2017 6:45:40 PM
नोटबंदी, जीएसटी से बुरी तरह पीटा शादी कारोबार: एसोचैम

 नई दिल्ली, (हि.स.)। दीपावली के ग्यारह दिन बाद से शुरू होने वाले शादी-ब्याह के सीजन को लेकर बाजार में मायूसी छाई है। कारोबारी जगत की शीर्ष संस्था एसोचैम के मुताबिक इस साल शादी-ब्याह सीजन में कारोबार में 10-15 फीसदी की कमी हो सकती है। इसके लिए सरकार के नोटबंदी और अब जीएसटी जैसे वित्तीय फैसले अहम कारण बताए जा रहे हैं। 

एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शादी-ब्याह से जुड़ा कारोबार एक लाख करोड़ रुपये का होता है, जो हर साल 20-30 फीसदी की दर से बढ़ता है। लेकिन सरकार के नोटबंदी, जीएसटी जैसे वित्तीय फैसले से भारतीय समाज में शादी-ब्याह पर होने वाले अनाप-शनाप खर्च पर रोक लगने की संभावना जताई जा रही है। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी-ब्याह से जुड़ी कारोबारी गतिविधियां जैसे मैरिज गॉर्डन, होटल बुकिंग, टेंट हाउस, ज्वैलरी, ब्यूटी पॉर्लर, रेडीमेड गारमेंट, कैटरर, फोटोग्राफी, टैवल सहित तमाम सेवाएं अब जीएसटी के दायरे में आ गई हैं। इन सेवाओं में से अधिकांश 18 फीसदी से 28 फीसदी जीएसटी के दायरे में आ रही हैं। जिससे चलते अब लोग शादी-ब्याह पर अनाप-शनाप खर्च करने से बचेंगे। उदाहरण के तौर पर 500 रुपये से ज्यादा कीमत के फुटवियर पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। इसी तरह सोने-हीरे के गहनों पर टैक्स 1.6 फीसदी से बढ़ाकर 3.0 फीसदी कर दिया गया है। पांच सितारा होटल बुकिंग के लिए अब 28 फीसदी टैक्स देना होगा, मैरिज हॉल, मैरिज गॉर्डन की बुकिंग 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में आ गई है। इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों पर अब 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। कुछ ऐसा ही हाल शादी-ब्याह से जुड़े अधिकांश कारोबार का है। 
 
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में आमतौर पर व्यक्ति अपनी जमापूंजी का पांचवां हिस्सा शादी-ब्याह में लगा देता है। एक भारतीय शादी 3-8 लाख रुपये तक खर्च किए जाते हैं। लेकिन अब लोगों को शादी-ब्याह पर अनाप-शनाप खर्च करने से पहले सोचना पड़ रहा है, क्योंकि नोटबंदी के चलते लोगों के पास नगद नहीं हैं| दुकानदार या कारोबारी जीएसटी के चलते बिल देना नहीं चाहते। ऐसे हालात में अब लोगों के पास शादी-ब्याह के बजट को बढ़ाने या शादी पर होने वाले खर्च को कम करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है। 
 
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