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''2022 तक 45 लाख करोड़ का उद्योग होगा म्युचुअल फंड''
By Deshwani | Publish Date: 21/10/2017 4:33:08 PM
''2022 तक 45 लाख करोड़ का उद्योग होगा म्युचुअल फंड''

मुंबई, (हिस)। पिछले तीन सालों से जबरदस्त वृद्धि हासिल कर रहा भारतीय म्युचुअल फंड साल 2022 तक 45 लाख करोड़ रुपये का उद्योग हो सकता है, जो फिलहाल 21 लाख करोड़ रुपये का है। अग्रणी रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह संभावना जताई है और देश के पहले म्युचुअल फंड के रूप में रिलायंस म्युचुअल फंड नवंबर के दूसरे हफ्ते में स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होगा, जिसका आईपीओ 25 से 27 अक्टूबर तक खुलेगा। इसका मूल्य दायरा 247-252 रुपये है।

इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक सालाना 20 फीसदी सीएजीआर की दर से यह उद्योग बढ़ रहा है और शीर्ष 10 फंड हाउस इससे आगे लाभान्वित होंगे, जिनके पास कुल उद्योग का 80 फीसदी असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) है। रिलायंस म्युचुअल फंड फिलहाल तीसरे क्रम पर एयूएम के लिहाज से है, जिसका एयूएम 2.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। 

 

एंफी के आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2016 में यह उद्योग 13 लाख करोड़ रुपये का था जो अब 21 लाख करोड़ रुपये पर हो गया है। इसी दौरान एसआईपी 2600 करोड़ रुपये प्रति माह से बढ़कर अब 5500 करोड़ रुपये मासिक हो गया है तो निवेशकों की संख्या 4.8 करोड़ से बढ़कर 6.3 करोड़ हो गया है। 

 

रिलायंस म्युचुअल फंड के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमांशु व्यापक कहते हैं कि आरएचपी के मुताबिक हमारी पिछले पांच सालों की वृद्धि एयूएम में 22 फीसदी सीएजीआर, राजस्व में 19 फीसदी और शुद्ध लाभ में 15 फीसदी की रही है, जो उद्योग के करीब रही है। एसआईपी की बात करें तो 500 करोड़ रुपये हर महीने है। 2003 से 2017 के दौरान उद्योग का एयूएम 1.25 लाख करोड़ से बढ़कर 21 लाख करोड़ रुपये हो गया तो रिलायंस का एयूएम इसी दौरान 3,000 करोड़ रुपये से बढ़कर ढाई लाख करोड़ रुपये हो गया है। 

 

कंपनी 1,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखी है और विश्लेषकों के मुताबिक जिस भाव पर यह आईपीओ आ रहा है, वह काफी सस्ता है। एक ब्रोकरेज हाउस के मुताबिक इस उद्योग का यह पहला आईपीओ है, लेकिन इसका भाव काफी सस्ता है और रिटेल निवेशक इससे ज्यादा लाभान्वित होंगे। कंपनी के पास 171 शाखाएं हैं जिनमें से 132 शीर्ष 15 शहरों के बाहर हैं। जबकि साल 2021 तक 150 नई शाखाएं शीर्ष 15 शहरों के बाहर ही खुलेंगी। इस तरह से छोटे शहरों में विस्तार और रिटेल निवेशकों पर फोकस से कंपनी को फायदा होने की उम्मीद है।

 

विश्लेषकों के मुताबिक वित्तीय साक्षरता बढ़ने और तमाम साधनों में ब्याज दरें कम होने से लोगों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है, जो काफी पारदर्शी उद्योग है और बेहतर रिटर्न देने वाला उद्योग है।

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