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बिहार
नीतीश कुमार ने ‘दहेज मुक्ति जागरूकता रथ’ को किया रवाना
By Deshwani | Publish Date: 24/11/2017 4:51:55 PM
नीतीश कुमार ने ‘दहेज मुक्ति जागरूकता रथ’ को किया रवाना

पटना, (हि.स.)। दहेज-प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए एक सशक्त अभियान चलाया गया है। इसके साथ ही बिहार अब पूर्ण शराबबंदी से नशामुक्ति की ओर कदम बढ़ा चुका है। इस कार्य में मीडिया का सहयोग मिल रहा है, जिससे इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की रफ्तार और तेज हुई है। यह बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को सचिवालय के संवाद भवन के सामने दैनिक जागरण की ओर से आयोजित दहेज मुक्ति जागरूकता रथ को रवाना करते हुए कहा। 

गौरतलब है कि “दहेज लेना पाप है, दहेज देना पाप है”, अपने परिवार की शान बनें, दहेज को ना कहें जैसे नारों के साथ यह रथ पूरे बिहार का भ्रमण कर दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीति के प्रति लोगों को जागरूक करेगा। 

उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में शुरू हुई यह पहल कारगर साबित हो रही है। शराबबंदी से समाज में अमन, चैन कायम हुआ है और अब लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है, जिसके कारण गरीबों के घर-आंगन में भी खुशहाली लौटी है, वह चाहे गांव हो या फिर शहर। 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक संवाद कार्यक्रम के दौरान एक महिला आयी और उन्होंने अपनी आप बीती सुनाते हुए दहेज-प्रथा के खिलाफ एक अभियान चलाए जाने की जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ण शरबाबंदी से महिलाओं के जीवन स्तर में काफी बदलाव आया है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह एक प्रभावी पहल साबित हो रहा है। 

उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी को लेकर सरकार और प्रशासन पूरी तरह सजग है लेकिन यह आम लोगों की सजगता और सहयोग से ही स्थायी और प्रभावी रुप से अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा। शराबबंदी को लोगों का भरपूर समर्थन मिला, जिसका नतीजा है कि 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला में चार करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराकर इतिहास कायम किया, जो लगभग बिहार की आबादी का एक तिहाई हिस्सा है। पूर्ण शराबबंदी के प्रति जनभावना का यह प्रकटीकरण और सामाजिक परिवर्तन की एक मिसाल है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब बिहार दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है, जिसको देखते हुए 21 जनवरी, 2018 को एक बार फिर मानव श्रृंखला पूरे बिहार में बनायी जाएगी। इसको सफल बनाने के लिए आप लोगों का भी सहयोग जरुरी है। जन सहयोग से अभियान अपने मकसद में कामयाब होगा। इसके लिए हर किसी को संकल्प लेने की आवश्यकता है ताकि बिहार से इन सामाजिक कुरीतियों का खात्मा किया जा सके। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि दहेज एवं बाल विवाह से होने वाले नुकसान से आप सभी परिचित हैं। कानून तो पहले से ही बना हुआ है लेकिन जब तक लोगों में इसके प्रति जागृति नहीं आएगी, लोग सजग नहीं होंगे, तब तक यह दहेज प्रथा और बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप बना रहेगा, जिसे हर हाल में खत्म करना होगा। इसे सामाजिक समर्थन जब से मिलने लगा है, इसमें तेजी आयी है और यह अभियान सफलता की तरफ बढ़ चला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दहेज एवं बाल विवाह एक बड़ी सामाजिक कुरीति है, जिसे जड़ से मिटाना जरूरी है। अगर भारत सरकार के आंकड़े पर गौर किया जाय तो महिला अपराध में बिहार का 26वां स्थान है लेकिन दहेज संबंधी अपराध में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। अगर दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर काबू पा लिया जाये तो महिलाओं के खिलाफ अपराध और होने वाली घटनाओं में बड़ा परिवर्तन आएगा। बाल विवाह की शिकार महिलाओं के बच्चे बौनेपन के शिकार होते हैं। दुनिया में लोगों की लंबाई बढ़ रही है, हमारे यहां कम हो रही है। हमारा आग्रह है कि इन सामाजिक विषयों पर कोई राजनीति न हो, सभी अपना योगदान दें, कमी को उजागर करें। समाज सुधार अभियान को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी आवश्यक स्थान दें। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में शराबबंदी, नशामुक्ति के साथ-साथ हम लोगों ने दहेज विरोधी एवं बाल विवाह विरोधी अभियान चलाया है। अगर हम इसमें कामयाब होते हैं तो समाज में बड़ा परिवर्तन आएगा और बापू के प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

बिना दहेज के शादी करने वालों को हम खुद ही फोन से बधाई देते हैं और मौका मिलने पर उनके घर पर भी जाते हैं। दहेज नहीं लेकर शादी करने वालों के प्रति यह सम्मान है। समाचार पत्र का दायरा व्यापक है, जिसके माध्यम से इस अभियान को और व्यापक बनाया जा सकता है। इन चीजों पर हम सबको राजनीति से हटकर एकजुट रहना है। बिहार से बाहर के लोग हमारे इस तरह के अभियान को जानने के लिए बिहार आ रहे हैं। हाल ही में कर्नाटक से प्रतिनिधिमंडल शराबबंदी के संबंध में यहां अध्ययन करने के लिए आये थे। इन सब गतिविधियों से बिहार की प्रतिष्ठा बढ़ी है। मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मशाल जलाकर जागरूकता रथ को रवाना किया।

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