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रघुवंश प्र​साद सिंह का आरोप—शिक्षा की बदहाली के लिए सरकार दोषी,दस लाख शिक्षकों की है जरूरत
By Deshwani | Publish Date: 16/10/2017 7:31:47 PM
रघुवंश प्र​साद सिंह का आरोप—शिक्षा की बदहाली के लिए सरकार दोषी,दस लाख शिक्षकों की है जरूरत

पटना, (हि.स.)। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा.रघुवंश प्रसाद सिंह ने देश में शिक्षा क्षेत्र की बदहाली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कि अभी 22 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति , दिल्ली विश्वविद्यालय में 22 काॅलेजों के प्राचार्य के पद और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 60 प्रतिशत पद खाली हैं । 

डा.सिंह ने सोमवार को यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आईआईटी, आईआईएम. और एनआईटी जैसी अग्रणी संस्थाओं में शिक्षकों के छह हजार पद खाली है। देश के कुल 1142 केन्द्रीय विद्यालयों के 56 हजार स्टाफ के स्वीकृत पदों में 14 हजार पद खाली हैं। प्रिंसिपल के 200 पद रिक्त हैं और शिक्षकों के भी 10 हजार पद रिक्त है। जवाहर नवोदय विद्यालय के 589 प्रिंसिपल के पदों में 125 पद खाली है और शिक्षकों के 2000 पद खाली है।देश भर में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर दस लाख ​शिक्षकों को तत्काल बहाल करने की जरूरत है।

डा.सिंह ने कहा कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में 13564 शिक्षकों के पद में से 7485 पद वर्षों से रिक्त हैं। 1960 के दशक में विश्वविद्यालयों के 2 लाख छात्रों के लिये 15000 शिक्षक थे । अभी दस लाख छात्रों के लिये 5000 शिक्षक है।

उन्होंने कहाधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की बिहार की पुरानी और मुख्यमंत्री द्वारा अतिविनम्रता से की गयी मांग को केवल ठुकराया ही नहीं बल्कि विश्वस्तर विश्वविद्यालय का दर्जा पाने के लिये प्रतियोगिता में आने की बात कहकर फिर झांसा देने का कार्य किया है। इससे बिहार के एनडीए के नेताओं और मंत्रियों के औकात भी दिखा दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग की पुरानी और निर्माणाधीन योजनाओं का शिलान्यास कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बिहार की पुरानी मांग को भी नजर अंदाज किया है। इससे मुख्यमंत्री का बिहार के हित के लिये पाला बदलने और केन्द्रीय हुकुमत की पार्टी के साथ मिल जाने से ज्यादा विकास के दावे का भी पोल खुल गयी है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के लिये कसीदे पढ़ रहे हैं। 

डा.सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री ने यह स्वीकार किया है कि दुनियां के चुने हुये 500 विश्वविद्यालयों में अपने देश का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है और दावा किया कि देश के दस निजी और दस सरकारी विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने के लिये दस हजार करोड़ रुपये दिया जायेगा । यह कहकर बिहार को वेवकूफ बनाने का कार्य किया है। मशहूर पटना विश्वविद्यालय में 1970 के दशक में दस हजार छात्रों के लिये 1024 शिक्षक थे जबकि अभी 28 हजार छात्रों के लिये अभी मात्र 276 शिक्षक है। शिक्षकों के अधिसंख्य पदों के खाली होने से नियमित पढाई कैसे संभव है। इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिलने बिहार के लोग निराश हैं। बिहार मेें उच्च विद्यालयों में 6500 और उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों में 12000 शिक्षकों के पद खाली है। प्राथमिक विद्यालयों में 2 लाख से ज्यादा षिक्षकों की कमी है। इसी कारण कोचिंग, निजी शिक्षण संस्थानों और ट्यूशन में लोग शोषित हो रहे हैं। अधिक छात्र फेल भी कर रहे हैं। शिक्षकों के सारे पद भरे जायें और पढ़ाई मानदंड के अनुसार हो नहीं तो राजद आन्दोलन करने को बाध्य है। पढ़ाई का बूरा हाल सहन नहीं किया जा सकता है। पढ़ाई नहीं होना अपराध है और इस पर नहीं बोलना भी भारी अपराध है।

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