मोतिहारी। देशवाणी न्यूज नेटवर्क
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी यात्रा जो 5 सितंबर को मुजफ्फरपुर से शुरू हुई थी। यात्रा दल कई जगहों का भ्रमण कर रविवार को यहां पहुंची। मोतिहारी के मुंशी सिंह कॉलेज में कृपा द मेहर फाउंडेशन, मोतीझील बचाओ अभियान समिति, सत्याग्रह यात्रा समिति, आलोक फाउंडेशन और जिले के अन्य संगठनों और साथियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया गया।
सत्याग्रह यात्रा के अध्यक्ष गुकरेज़ शहज़ाद ने कहा कि ये बहुत बड़ा क्रांतिकारी कार्य है। गांधीजी के प्रेम और भाईचारे का सन्देश पहुँचाने का काम जो चंपारण सत्याग्रह शताब्दी यात्रा के साथी कर रहे हैं ये सराहनीय है। सभा की अध्यक्षता भगवान प्रसाद ने की। मुख्य अतिथि राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश खैरनार और ब्रजकिशोर प्रसाद, पूर्व मंत्री, बिहार सरकार और प्रो. नसीम अहमद थे। समापन सभा को संबोधित करते हुए यात्रा के संयोजक और राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय महामंत्री शाहिद कमाल ने यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की इस यात्रा का उद्देश्य गान्धीजी के सन्देश को जन जन तक पहुंचाना और युवाओं को जोड़ना है। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी यात्रा के सूत्रधार और सेवक फाउंडेशन के अध्यक्ष तनवीर आलम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की चंपारण सत्याग्रह से निलहे अंग्रेजों से किसानो को आज़ादी मिली और देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई राह, लेकिन आज इस बात का आकलन करना आवश्यक है कि गांधी के सपनों का भारत तैयार हुआ या नहीं, उनका ग्राम स्वराज का सपना पूरा होगा या नहीं।
सभा को अम्बोधित करने वालों में मुख्य रूप से मोहिबुल हक़ खान, साजिद रज़ा, सय्यद साजिद, अशोक भारत, डॉ. खालिद, सदाशिव मखदूम, मोहम्मद इम्तेयाज, प्रो. अरुण कुमार, फारूक आज़म थे। सभा का संचालन अंसारुल हक़ ने किया, धन्यवाद ज्ञापन कृपा द मेहर फाउंडेशन के अध्यक्ष सैय्यद मोबीन अहमद ने किया। यात्रा दल में मोहम्मद इम्तेयाज, मनीषा बनर्जी, नंदलाल, अरुण चौधरी, अशोक भारत, मेघना, दिब्यता, सोनू सरकार, भवेश असगर, एम् क्यू जौहर लोग थे।
मुख्य रूप से उपस्थित अतिथि डॉ. दीपक कुमार, डॉ. आशुतोष, अलोक फाउंडेशन के संस्थापक अलोक कुमार, अरुण कुमार, शफी अहमद, रज़ी असगर, नूरुज़्ज़ोहा, अधिवक्ता मोख्तार आलम, नफीस अहमद, राग़ीब हुसैन, सय्यद ज़फर इक़बाल, अरशद आलम, इमाम साहेब, इंताज़रुल हक़ थे।
बता दें कि यह यात्रा समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, बिहपुर (भागलपुर), कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर, हाजीपुर, सिवान, छपरा, गोपलगंज, बेतिया होते मोतिहारी पहुंची।