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बूढ़ी गंडक का दक्षिणी तटबंध टूटने से इलाके में मचा हाहाकार
By Deshwani | Publish Date: 20/8/2017 9:20:34 PM
बूढ़ी गंडक का दक्षिणी तटबंध टूटने से इलाके में मचा हाहाकार

मुजफ्फरपुर, (हि.स.)। मुजफ्फरपुर में नये-नये इलाकों में बाढ़ का प्रकोप लगातार बढ रहा है। बीती देर रात मुशहरी प्रखंड के रजवाडा भगवान के पासबूढ़ी गंडक का दक्षिणी तटबंध टूट गया। पानी की तेज धार के कारण करीब 200 मीटर लंबाई में बांध बह गया। में तटबंध में स्लुईस गेट लगाया गया था। तेज धार में गेट भी बह कर दूर चला गया। देर रात के अंधेरे में आई बाढ़ से लोग काफी दहशत में हैं। बांध टूटने से रजवाड़ा. मनिका, नरौली, रोहुआ और प्रह्लादपुर पंचायतों के एक दर्जन गावों मे बाढ़ का पानी घुस गया है। लोग उंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। जहां बांध टूटा है, वहां स्लुइस गेट । 

रात में लगभग एक बजे बांध से पानी निकलने लगा और देखते ही देखते पूरा गेट और उस पर बना पुल भी बह गया और आसपास के घर भी बह गये। पुल के टूटने से रजवाड़ा गांव में अफरा-तफरी मच गयी। लोग बांध की ओर भागने लगे। घरों से सामान निकालकर बांध पर रखने लगे।कुछ ही देर में यह सूचना पूरे इलाके में आग की तरह फैल गयी और रात दो बजे तक मौके पर सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी टूटे बांध को देखना चाहते थे। बांध से निकलने वाला पानी तेजी से मनिका मन में भर रहा था। रात लगभग दो बजे मौके पर जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह व एसएसपी विवेक कुमार पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने जानकारी ली और फिर मुशहरी प्रखंड कार्यालय के लिए निकल गये। इनके साथ मुशहरी के प्रखंड विकास अधिकारी और अंचलाधिकारी भी थे।
मौके पर मुशहरी थाना की पुलिस मौके पर पहुंच चुकी थी। थाना प्रभारी विकास कुमार आसपास के घरों से लोगों को निकलने को कह रहे थे।साथ ही थाना पुलिस बांध की तरफ लोगों को जाने से रोक रही थी, क्योंकि वहां लगातार कटाव हो रहा था। रात दो बजे तक बांध लगभग 80 फुट कट चुका था। पानी की तेज धार निकल रही थी। आसपास के लोगों ने बताया कि बांध टूटने की आशंका पहले से ही थी। इधर, रात दो बजे से मौके पर जिले के अन्य अधिकारियों का भी पहुंचना शुरू हो गया था। डीएसपी पूर्वी भी पहुंच गये थे। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए भरी संख्या में पुलिस बल भी पहुंच चुका है। 
रजवाड़ा गांव के जिस इलाके में बांध टूटा वहां की महिलाएं रो रही थीं, वो कह रही थीं हमारा सबकुछ खत्म हो गया. आसपास के लोगों के समझाने पर भी वो मानने को तैयार नहीं थी। इनका आरोप था कि जब पहले से जानकारी थी, तो स्लुइस गेट के मरम्मत के लिए प्रशासन द्वारा कदम क्यों नहीं उठाये गये ? सूत्रों की मानें, तो स्लुइस गेट के पास बांध जर्जर है । इसकी जानकारी प्रशासन को थी। इसके बाद भी इसकी ओर ध्यान नहीं दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार की रात ही इसकी सूचना दी गयी थी। इसके बाद कुछ अधिकारीयों ने मौके का दौरा भी किया था, लेकिन स्लुइस गेट को ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये गये। इसको लेकर मौके पर भी चर्चा हो रही थी। जहां पर स्लुइस गेट का बांध टूटा है। उसकी सुरक्षा के लिए दो चौकीदार लगाये गये थे। इन्हीं पर इसके सुरक्षा की जिम्मेवारी थी। रात डेढ़ बजे जब जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने जानकारी मांगी, तो मौके पर मौजूद जल संसाधन विभाग के अभियंता ने कहा कि यहां दो चौकीदारों की ड्यूटी लगी थी। उनका कहना है कि रिसाव की वजह से एक बोल्ट स्लीप कर गया था, जिसके लिए आदमी शहर भेजा था, लेकिन जब तक बोल्ट आता, उससे पहले ही बांध टूट गया। 
गौरतलब है कि जिस स्थान पर बांध टूटा है उसी स्थान पर 1975 में भी बांध टूटा था. इस बात की चर्चा मौके पर जुटे लोग कर रहे थे। उनका कहना था कि पानी का दबाव बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है। इससे पहले जो बांध टूटा था, तो बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। ऐसा स्थानीय लोगों का कहना था। रजवाड़ा गांव में जब लोग गहरी नींद की आगोश में जा रहे थे, तभी दबे पांव पानी के रूप में तबाही आ गयी, जिसने इन लोगों की जमा पूंजी पर संकट पैदा कर दिया। इस बात को लेकर गांव की महिलाएं गमगीन दिख रही थीं। उन्हें लग रहा था कि अब क्या होगा? जिंदगी भर की जमा पूंजी से बनाया घर उनकी आँखों के सामने बूढ़ी गंडक नदी से निकले पानी में समा रहा था, लेकिन वह देख कर भी कुछ नहीं कर पा रही थीं। कई महिलाएं तो दहाड़े मार कर रोने लगीं, लेकिन कुछ महिलाएं खुद को दिलासा दे रही थीं। उनका कहना था कि जो होना था, हो गया? अब क्या करना है हमें यह सोचना है। पीड़ित महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बांध के ऊपर बैठी हुई थीं। इनके सामने आनेवाली कल की चुनौतियों का संकट था। इनका कहना था कि हमारे बच्चों का क्या होगा? वहीं, बच्चे आसपास आ रहे लोगों को देख रहे थे। उन्हें कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है। उन्हें सोते हुये नींद से क्यों उठाया गया है। अपने घर के पास लोगों की भीड़ देख कर बच्चे हैरान थे। आसपास के लोग बता रहे थे कि 1975 में भी बांध टूटा था, तो भी तबाही आयी थी।
 
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